राज करेगा खालसा
अमरजीत हो सकते हैं कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशी

| प्रदेश कांग्रेस में महासचिव (संगठन) की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सम्हाल रहे ‘अमरजीत’ की अनायास जिम्मेदारी से मुक्ति तथा महासमुन्द क्षेत्र में बढ़ी | उनकी असाधारण सक्रियता से मिल रहे संकेतों से सम्भावना है कि यह ‘असरदार सरदार’ महासमुन्द विधानसभा सीट हेतु कांग्रेस का ‘सम्भावित प्रत्याशी’ हो सकता है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से निकट सम्वन्ध, सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी तक सीधी पहुंच रखने वाला, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा चरणदास महन्त का ‘भरोसे का आदमी’ महासमुन्द की राजनीति में कैसा ‘सकारात्मक बदलाव’ लायेगा, यह जो समय ही बतायेगा परन्तु सत्ता, संगठन और कार्यकर्ताओं में समान रूप से लोकप्रिय अमरजीत के लिये कोई भी युद्ध, चाहे वह राजनैतिक हो, | सामाजिक हो या परिवर्तन का ‘महासंग्राम’ हो, जीतना असम्भव नहीं है, क्योंकि वह ‘अमरजीत’ है।
राष्ट्रीय अभियोजक समाचार सेवा महासमुन्द । कांग्रेस द्वारा कराये गये गोपनीय सर्वे में छत्तीसगढ़ की 28 विधानसभा सीटों पर मिल रहे प्रत्याशी परिवर्तन के संकेतों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरजीत चावला की महासमुन्द वापसी से कार्यकर्ताओं में सुखद आश्चर्य व्याप्त है यद्यपि अमरजीत ने अभी तक अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं का खुलासा नही किया है, परन्तु चर्चा है कि कांग्रेस संगठन में अव तक दो दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी सम्हाल चुका यह ’53 वर्षीय युवा असरदार’ नेता अब ‘सत्ता में सरदार’ हो सकता है ? गांवों में अमरजीत की सक्रियता, वॉल पेन्टिंगें, कांग्रेस कार्यकर्ताओं से निरन्तर सम्पर्क तथा स्थानीय कांग्रेस भवन में हर कार्यक्रम में भागीदारी से कुछ अलग संकेत ही मिल रहे हैं।
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से प्रदेश की राजनीति में तीन दशक से सक्रिय, तत्कालीन कांग्रेसी राजनीति के पुरोधा केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल का ‘भरोसे का सिपाही’
अमरजीत आज स्वयं को ‘सभी के भरोसे के व्यक्ति’ के रूप में स्थापित कर चुका है, और अगर ऐसे चुनौती भरे समय में अमरजीत जनता का भरोसा हासिल करने चुनाव मैदान में उतरता है, तो यह आश्चर्यजनक नही होगा क्योंकि आज सत्ता, संगठन और समाज, सभी को एक ‘ईमानदार आदमी’ की तलाश है जो कुछ कर के दिखा सके।
सभी के अपने और विश्वस्त हैं अमरजीत

हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी और छत्तीसगढ़ी भाषा के ओजस्वी वक्ता 53 वर्षीय अमरजीत चावला कांग्रेस के केन्द्रीय एवं प्रादेशिक संगठन सहित राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के करीबी तथा विश्वस्त रहे हैं और वर्तमान में उन्हें प्रदेश की राजनीति में तीसरे स्थान पर माना जाता है। कांग्रेस के शिखर पुरुष राहुल गांधी, श्रीमती सोनिया गांधी से लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक उनकी सीधी पहुंच होने के साथ साथ उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
मोहन मरकाम, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा चरणदास महन्त का करीबी एवं विश्वस्त समझा जाता है। राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि – ‘संगठन में भरोसे का दूसरा नाम अमरजीत है, जो सबके अपने और भरोसे के व्यक्ति हैं ।’
जिम्मेदारियों के साथ जीने का नाम है अमरजीत
प्रदेश कांग्रेस के संगठन महासचिव पद सहित युवक कांग्रेस एवं एनएसयूआई का प्रभार सम्हाल चुके श्री चावला की राजनैतिक जीवन यात्रा ही चुनौतियों और जिम्मेदारियों को सम्हालने की रही है । वे कांग्रेस के मनरेगा महासमुन्द के जिला प्रभारी, युवक काग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस संगठन कोरबा के निर्वाचन प्रभारी, कांग्रेस संगठन निर्वाचन धमतरी के चुनाव अधिकारी सहित छत्तीसगढ़ राज्य कौमी एकता सामाजिक न्याय के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं, जो स्वयं में एक बड़ी उपलब्धि है।
हर जिम्मेदारी और समय की चुनौती को साहस के साथ स्वीकारने वाले अमरजीत भूपेश बघेल के प्रदेशाध्यक्ष काल में महासमुन्द कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे हैं तथा वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 2007 से 2010 तक सचिव भी रहे हैं । अविभाजित मध्यप्रदेश में उन्होंने 1997 से 1999 तक युवक कांग्रेस के सचिव पद का दायित्व सम्हाला वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़ के मीडिया पैनलिस्ट भी रहे। वे महासमुन्द लोकसभा निर्वाचन 2019 के संयोजक तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के 2018 से 2020 तक सचिव रह चुके हैं।
कांग्रेस के डिजीटल सदस्यता अभियान के राज्य संयोजक सहित प्रदेश कांग्रेस अभियान, हीरक जयन्ती महोत्सव तथा ‘मंत्री जी से मिलिये’ कार्यक्रम के संयोजक सं कांग्रेस संगठन को मजबूती देने में जितना पसीना बहाया है, वह स्वयं में उनकी एक साह तथा महासमुन्द के लिये गर्व का विषय है।
इसीलिये वे ‘अमरजीत ‘ हैं !

प्रदेश की युवा तरूणाई के प्रेरणास्त्रोत रहे अमरजीत चावला ने महासमुन्द जिले में नहर लाइनिंग कार्य में हुये बड़े भ्रष्टाचार तथा भूमाफियाओं द्वारा करोड़ों की अवैध खरीदी बिक्री का सनसनीखेज रहस्योद्घाटन करके सनसनी फैला दी थी।
भूमाफियाओं तथा ठेकेदारों से मिली तमाम धमकियां तथा प्रलोभन उन्हें डिगा नहीं सके । अन्ततः उन्हीं के कारण गरीब आदिवासियों को भूमाफियाओं द्वारा छल, प्रपंच से हथियाई हुई उनकी भूमि वापस मिल सकी । अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में वे तत्कालीन भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार मुखर रहे तथा पार्टी आन्दोलनों को उन्होंने जिले में सम्पूर्णता दी । हर जिम्मेदारी को साहस के साथ निभाना उनका स्वभाव है और सम्भवत: इसीलिये वे ‘अमरजीत’ हैं।

ऊर्जा और आत्मविश्वास से लबरेज अमरजीत को काग्रेसी संस्कार पारिवारिक पृष्ठभूमि से मिले हैं। सम्पन्न और प्रतिष्ठित परिवार के सदस्य अमरजीत के पिता स्वर्गीय प्रीतम सिंह चावला सिख समाज के अध्यक्ष तथा अग्रणी समाजसेवी थे। भाई नरेन्द्र सिंह चावला के जिला मजिस्ट्रेट होने से शिक्षा, संस्कार और सामाजिक प्रभाव के बाद भी अमरजीत की लोकप्रियता उनके अपने व्यवहार से है जिसे उन्होंने तीस वर्षो की समर्पित सेवा से अर्जित किया है। सम्पन्न कृषक परिवार के सदस्य अमरजीत ने विधि स्नातक होने के बाद भी बकालत के | स्थान पर समाजसेवा को अपना कार्यक्षेत्र चुना और आज उन्हें सामाजिक, राजनैतिक तथा आम जनता के बीच जो लोकप्रियता और सम्मान हासिल है, वह किसी भी व्यक्ति के लिये ईर्ष्या का विषय हो सकता है। धार्मिक संस्कारों से ओतप्रोत श्री चावला के दिन की शुरूआत ही गुरूवाणी के पाठ तथा गुरूद्वारा जा कर माथा टेकने से होती है। गुरू ग्रंथ साहव में उल्लिखित ‘जो लड़े दीन के हेत, सूरा सोई’ तथा गांधी जी का प्रिय भजन
छत्तीसगढ़ को राज्य बनाने लगाई जान की बाजी कांग्रेस के जुझारू युवा अमरजीत की छत्तीसगढ राज्य निर्माण आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसमें उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली जाकर आन्दोलन किया तथा तीन वार गिरफ्तार होकर जेल गये । प्रथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर 6 फरवरी 1999 को 490 लोक कलाकारों के साथ जंतर मंतर पर उनके नेतृत्व में हुआ आन्दोलन ऐतिहासिक था जिसमें 355 पुरूष तथा 55 महिला आन्दोलनकारियों सहित कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाग लेकर केन्द्र को खुली चुनौती दी थी जिसमें अमरजीत को मन्दिर मार्ग पुलिस द्वारा जबरन बिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। आन्दोलन के दौरान फुर्तीले अमरजीत निर्मम समझी जाने वाली दिल्ली पुलिस की बर्बरता के शिकार भी बने परन्तु उन्होंने 1996 से 2000 तक निरन्तर पांच वर्ष चले आन्दोलन में अपनी टीम सहित भाग लेना जारी रखा जिसकी परिणति छत्तीसगढ़ राज्य के रूप में सामने आई।
‘वैष्णवजन ते तेने कहिये जे पीड़ पराई जाने रे’
उनके प्रिय भजन हैं जिन्हें उन्होंने जीवन में आत्मसात करके ‘दीन के हित में संघर्ष करने’ तथा ‘पराई पीड़ा’ समझने का संकल्प लिया है।
छत्तीसगढ़ टेबल टेनिस ऐसोशियेशन के कोषाध्यक्ष, रोटरी क्लब रायपुर के वरिष्ठ सदस्य तथा लायन्स क्लब महासमुन्द के सदस्य अमरजीत चावला महासमुन्द जिला ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और अपनी इन्हीं सामाजिक गतिविधियों ने उन्हें खेल भावना से स्वस्थ राजनीतिक दायित्वों का निर्वाह करने की प्रेरणा दी है । सिख युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष, उर्स कमेटी के संरक्षक तथा रेल यात्री कमेटी, पूर्व तट रेलवे के जोनल सदस्य रहे श्री चावला को उनकी सम्पन्नता के कारण नहीं, बल्कि उनके शान्त, सरल, आत्मीय व्यवहार और निर्भीक ओजस्वी वाणी के लिये जाना जाता है। सम्भवतः यही उनकी वास्तविक उपलब्धि भी है।
युवाओं के ‘प्रेरणास्त्रोत’ हैं ‘ अमरजीत भैया’


विभिन्न आन्दोलनों में जिले की संगठित युवा शक्ति का नेतृत्व करने वाले 53 वर्षीय युवा अमरजीत आज भी युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बने हुये हैं। वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें हिन्दू, मुसलमान, सिख, सतनामी तथा आदिवासी समाज सहित मारवाड़ी, गुजराजी एवं जैन समाज के सभी वर्गो में लोकप्रियता प्राप्त है। उनके समर्थकों में केवल कांग्रेस कार्यकर्ता ही नहीं, भाजपा और अन्य राजनैतिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं, जो समय आने पर अमरजीत भैया का साथ देंगे।
यह खामोशी कुछ कहती है ?

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण, संगठन महासचिव पद से मुक्ति पाने के बाद अमरजीत का निरन्तर महासमुन्द दौरा, ग्रामीण क्षेत्रों में सतत सम्पर्क, कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मेल जोल, कांग्रेस भवन में सतत उपस्थिति, पार्टी के स्थानीय कार्यक्रमों में भागीदारी तथा गांवों में बड़ी संख्या में की जा रही वॉल पेन्टिंग से मिल रहे संकेत बहुत कुछ जाहिर कर रहे हैं यद्यपि अमरजीत ने विधानसभा निर्वाचन में अपनी सम्भावित दावेदारी के बारे में खामोशी अख्तियार कर रखी है। उनका कहना है कि वे संगठन के समर्पित सिपाही हैं, तथा संगठन के हर निर्णय का स्वागत करेंगे।
अभी तक सभी निर्वाचनों में ‘किंग मेकर’ की भूमिका अदा करते आ रहे गम्भीर राजनीतिज्ञ अमरजीत अब स्वयं ‘किंग’ बनने वाले हैं, इसका संकेत राजनैतिक नैपथ्य से छनछन कर आ रही उन अफवाहों से भी मिलता है जिनके अनुसार संगठन के अति महत्वपूर्ण पद पर बैठे अमरजीत को इस जिम्मेदारी से ‘पार्टी के बड़ों ने राहत’ भी इसीलिये दी है कि ‘इतनी बड़ी जिम्मेदारी सम्हालते हुये अमरजीत स्वयं चुनाव नहीं लड़ सकते थे और शिखर नेतृत्व को अब प्रदेश में कांग्रेस शासन के अगले कार्यकाल में बड़ी जिम्मेदारियां सम्हालने ईमानदार जनप्रतिनिधियों की जरूरत है, जो राजनीति को कारोबार नहीं ।’
है। सम्पन्न कृषक परिवार के सदस्य अमरजीत ने विधि स्नातक होने के बाद भी बकालत के | स्थान पर समाजसेवा को अपना कार्यक्षेत्र चुना और आज उन्हें सामाजिक, राजनैतिक तथा आम जनता के बीच जो लोकप्रियता और सम्मान हासिल है, वह किसी भी व्यक्ति के लिये ईर्ष्या का विषय हो सकता है। धार्मिक संस्कारों से ओतप्रोत श्री चावला के दिन की शुरूआत ही गुरूवाणी के पाठ तथा गुरूद्वारा जा कर माथा टेकने से होती है। गुरू ग्रंथ साहव में उल्लिखित ‘जो लड़े दीन के हेत, सूरा सोई’ तथा गांधी जी का प्रिय भजन