किसी जीव को मारने का भाव मन मे आ जाये तो पाप लगता है-आचार्य विराग सागर।

विनोद कुमार जैन

बड़ामलहरा-:- सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरि में आचार्य श्री विराग सागर महाराज एवम आचार्य श्री विन्रम सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में चल रहे श्री एक हजार आठ भक्ताम्बर मानस्तंभ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में पँडित जय कुमार निशांत,सनत विनोद जैन रजवास एवं शुभम शास्त्री ने मंगलवार को गर्भ कल्याणक (पूर्व रूप)के दिन सुबह श्री जी का अभिषेक,शांतिधारा, नित्य पूजन,सकलीकरण,इंद्र प्रतिष्ठा, नांदी विधान किया गया।

इसके साथ ही दोपहर की बेला में योग मंडल विधान के साथ आचार्य श्री की मंगलदेशना हुए।जिसमे आचार्य श्री विराग सागर ने कहा कि द्रव्य हिंसा भाव हिंसा द्रव्य हिंसा किसी के जीव को मार देना भाव हिंसा मात्र भाव से ही किसी जीव को मारने का भाव आ जाए तो भी पाप का बंध होता है,भावो का बहुत बड़ा प्रभाव है।

तीर्थंकर ने भी भावो से सोलहकरण भावना भाइ तभी उन्हें तीर्थंकर प्रकृति का बांध हुआ और वे तीर्थंकर हुए।सांधकालीन बेला में संभावना समिति दिल्ली के दौरा महाआरती करवाई गई जिसमें सनत जैन कुटोरा परिवार को महाआरती का सौभाग्य मिला उसके साथ ही शास्त्र सभा एवम सौधर्म इंद्र दरवार भी लगाया गया।।