कलेक्टर का आदेश भी बेअसर हुआ साबित

नीति आयोग के अंतर्गत स्वीकृत तालाबों की दूसरी किस्त आदेश के बाद भी नहीं हुई जारी

मनीष जैन वरिष्ठ पत्रकार बक्सवाहा

88 ग्राम पंचायतों के लिए 25% राशि रोककर शेष राशि जारी करने के 12 जनवरी को जारी हुए थे आदेश

 छतरपुर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा समय-समय पर जन हितेषी योजनाओं को बनाया जाता है और जमीनी स्तर पर उनके सफल क्रियान्वयन के लिए आदेशित भी किया जाता है इसी के अनुसार नीति आयोग अंतर्गत जिले के छतरपुर बिजावर बक्सवाहा राजनगर बड़ा मलहरा गौरिहार नौगांव एवं लवकुशनगर विकासखंड की 88 ग्राम पंचायतों के लिए स्वीकृत तालाबों से मिट्टी निकालने के लिए अनुदान राशि स्वीकृत की गई थी जिसके मुताबिक शासन द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत को खुदाई के लिए ₹279000 स्वीकृत किए गए थे जिसकी पहली किस्त के रूप में 50 प्रतिशत राशि ग्राम पंचायतों के खातों में आ गई लेकिन शेष राशि के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय से आदेश जारी होने के बाद भी अभी तक पंचायतों के खातों में नहीं आई है इस तरह माना जा सकता है कि अधीनस्थ हमले के सामने जिला कलेक्टर का आदेश भी बेअसर साबित हो रहा है हालांकि जिला कलेक्टर द्वारा यह आदेश 12 जनवरी को जारी किया गया था जिसके मुताबिक इस योजना के तहत जो शेष राशि पंचायतों के खातों में जाना है उस राशि का 25% पंचायतों के खाते में डालने का जिला कलेक्टर द्वारा आदेश जारी किया गया था।

जिला कलेक्टर द्वारा 12 जनवरी को आदेश जारी तो कर दिया गया लेकिन आज दिनांक तक पंचायतों के खातों में उक्त योजना के तहत ₹1 भी नहीं डाला गया है जिससे पंचायतों में रोष व्याप्त है हालांकि वे काफी दिनों से उक्त राशि खातों में डालने की मांग कर रहे थे।

जानकारी के मुताबिक विगत कुछ रोज पूर्व जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी तपस्या सिंह बक्सवाहा क्षेत्र के भ्रमण पर आई थी इस दौरान पंचायतों से उन्हें यह शिकायत मिली थी कि नीति आयोग के अंतर्गत जो तालाब स्वीकृत हुए थे उनका भुगतान अधर में लटका हुआ है इसके बाद उन्होंने आश्वासन दिलाया था कि जल्द शेष राशि का भुगतान करा दिया जाएगा। और निश्चित तौर पर जिला पंचायत की सीईओ द्वारा इस मामले से जिला कलेक्टर को अवगत कराया गया और 12 जनवरी को कार्यालय जिला कलेक्टर से आदेश जारी हुआ जिसमें जिले की 88 पंचायतों को इस योजना के तहत जितनी राशि का भुगतान होना था उस राशि का 25% भुगतान करने के आदेश थे लेकिन आदेश का अभी तक पालन नहीं हुआ है।

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