जो वैद्य बिना बताये रोग पहचान ले, ईश्वर के समान है – अभय महाजन
रोग मुक्त होने के लिए आयुर्वेद के सिद्धांतों को अमल में लाना जरूरी – डॉ अशोक अवधिया
आयुर्वेद को सहेजने आरोग्यधाम की पहल सराहनीय – डॉ भूपेश द्विवेदी
ब्यूरो रिपोर्ट सक्सेस मीडिया न्यूज-
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चित्रकूट 26 मार्च 2022 । एकात्म मानववाद के चिंतक पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की स्मृति में भारत रत्न राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान सामाजिक पुर्नरचना के कार्यो में अपने प्रकल्पों के माध्यम से सतत प्रयत्नशील है। उसी क्रम में चित्रकूट के स्वास्थ्य प्रकल्प आरोग्यधाम के द्वारा 26 मार्च से दो दिवसीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रशिक्षण एवं परंपरागत वैद्यों का सम्मेलन आरोग्यधाम परिसर में आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्रामीण स्वावलम्बंन एवं सम्पर्कित केन्द्रों के आरोग्य दूतों को विभिन्न तकनीकी सत्रों के माध्यम से विषय विषेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण का शुभारम्भ डॉ अशोक अवधिया मुख्य चिकित्सा अधिकारी सतना, डॉ भूपेश द्विवेदी मुख्य चिकित्सा अधिकारी चित्रकूट धाम एवं श्री अभय महाजन संगठन सचिव दीनदयाल शोध संस्थान, श्री राजेन्द्र सिंह व वैध राजेंद्र पटेल द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं नानाजी देशमुख का स्मरण करते हुये दीप प्रज्ज्वलन, देवार्चन से किया गया।
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर मार्गदर्शन करते हुए संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने कहा कि पृथ्वी पर जो भी पौधा है उसमें औषधीय गुण विद्यमान है, यदि वैद्यों को औषधीय पौधों की जानकारी है तो उसका सेवन कराकर आयुर्वेद के माध्यम से व्यक्ति को आजीवन स्वस्थ रखा जा सकता है। जो वैद्य बिना रोगी से पूछे उसकी नाड़ी देखकर रोग की पहचान कर ले, वह ईश्वर के समान है। हमारी वैदिक पद्धति में वैद्य वात, पित्त, कफ के आधार पर ही चिकित्सा करते थे एवं दवा के साथ ईश्वर से प्रार्थना कर दुवायें भी देते थे। दुवायें दवा से अधिक सामर्थ्यवान होती है।
संगठन सचिव जी ने अपनी बात रखते हुये कहा अडूसा का काढ़ा सर्दी जुखाम में बहुत फायदा करता है, इसी प्रकार दिन में मूली खाना अमृत के समान है तो रात्रि में नुकसानदायक। दादी मॉं का बटुये की औषधियां आप सबके लिये एक मार्गदर्शक हैं, इनका सही एवं समुचित उपयोग आप तभी कर पायेगें जब प्रशिक्षण कार्यक्रमों में पूरे जिज्ञासापूर्ण रहेगें। मुख्य चिकित्सा अधिकारी सतना डॉ अशोक अवधिया ने कहा कि हमें अपनी जीवनशैली को रोग मुक्त बनाने के लिए आयुर्वेद के सिद्धांतों को अमल में लाना चाहिए। उन्होंने आरोग्यधाम के द्वारा पारंपरिक ज्ञान को सहेजने के लिए आयोजित वैद्य सम्मेलन के कार्यों की सराहना करते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी चित्रकूट डॉ भूपेश द्विवेदी ने कहा कि जब से पृथ्वी है तब से आयुर्वेद है। आयुर्वेद को सहेजने का काम आरोग्यधाम कर रहा है, यहां उपस्थित वरिष्ठ वैद्यों के तजुर्बे का लाभ नई पीढ़ी को मिलेगा। उल्लेखनीय है कि आरोग्यधाम में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले वैद्य सम्मेलन का शुभारंभ राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख ने वर्ष 2003 में किया था। वैद्य सम्मेलन का उद्देश्य परंपरागत आयुर्वेदिक नुस्खों की जानकारी एवं ज्ञान का आदान प्रदान कर आयुर्वेद के माध्यम से आजीवन स्वास्थ्य रखने के उपायों की जानकारी अपनाकर ग्रामीण जनों को स्वस्थ रखना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत में सभी आरोग्य दूत एवं वैद्यों को डॉ अशोक पांडेय द्वारा दीनदयाल शोध संस्थान की विभिन्न गतिविधियों व संस्थान द्वारा किये जा रहे सामाजिक पुनर्रचना के कार्यो के बारे में प्रस्तुतीकरण किया गया। प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षणार्थियों को डॉ मनोज त्रिपाठी द्वारा आरोग्यधाम स्थित औषधि वाटिका का भ्रमण कराकर औषधीय पौधों की पहचान भी कराई गई।