सट्टा व जुए के कारोबार से युवा पीढ़ी हो रही बर्बाद

दिल्ली के थाना तिमारपुर के एरिया लखनऊ रोड पर एसीपी के कार्यालय के पास खुलेआम चल रहा है तितली कबूतर व सट्टे का कारोबार।

उपरोक्त चल रहे सट्टा व जुए के कारोबार से युवा पीढ़ी हो रही बर्बाद-क्षेत्र के लोग पुलिस की सख्त कार्रवाई का कर रहे बेसब्री से इंतजार।

दैनिक सक्सेस मीडिया।

दिल्ली :- उत्तर जिला के थाना तिमारपुर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र लखनऊ रोड पर शारदा डेरी के पास खुलेआम चल रहा है सट्टा व तितली कबूतर का धंधा ताजुब्ब की बात यह है कि इस सट्टे के ठिकाने से चंद कदमों की दूरी पर उत्तर जिला में तैनात दो सब डिविजन पुलिस ऑफिसर (एसडीपीओ) के कार्यालय है।

जिसमे दोनो अधिकारी प्रतिदिन बैठते है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उसके बावजूद भी धड़ल्ले से वकील मालिक व जाकिर नामक व्यक्तियों के लोग बेधड़क होकर सट्टा चला रहे है। यह जुए का धंधा पुलिस के संरक्षण में चल रहा है या पुलिस की जानकारी के बिना चल रहा है, कहना मुश्किल है। दोनों ही स्थिति में पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता है। क्योंकि यदि यह सट्टा पुलिस के संरक्षण में चल रहा है, तो यह न केवल पुलिस के लिए बल्कि सत्ताधारियों के लिए भी शर्मनाक है। और यदि सट्टा पुलिस की जानकारी के बगैर चल रहा है, तो पुलिस को अपनी कार्यक्षमता और कार्य प्रणाली पर आत्मचिंतन करना होगा। गौरतलब है, कि स्थानीय पुलिस पर जब उच्चधिकारियों का दवाव पड़ता है, तब पुलिस हल्की फुल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज करके अपना पल्ला झाड़ लेती है और इस तरह के मामले स्वतः साबित करते हैं कि उपरोक्त क्षेत्र में सट्टा बेखोफ चल रहा है। लेकिन उसके बावजूद पुलिस कोई फोलोअप नहीं करती है।

यही कारण है कि इस तरह का काला कारोबार खुलेआम चल रहा है, जिसने मुख्य रूप से युवा वर्ग को अपनी चपेट में ले रखा है। आलम यह है कि खुलेआम चल रहे इस अवैध कारोबार को लेकर कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति कार्रवाई करने को जल्दी से तैयार नहीं होते है। ऐसे में यह कारोबार न सिर्फ लगातार बढ़ता जा रहा है, बल्कि माया रूपी चमक को देखकर इसकी चपेट में आने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। यूं तो इसके प्रति ज्यादातर युवा लोग ही आकर्षित होते हैं, लेकिन सैकड़ों ऐसे वरिष्ठ लोग भी शामिल हैं, जिन्हें इसकी लत लग चुकी है। ऐसे में वे इस बार न सही अगली बार के चक्कर में अपनी गाड़ी कमाई का पैसा इसमें बर्बाद कर रहे हैं। जबकि दूसरी ओर उनके परिवार एक-एक पैसे को मोहताज होकर दुख झेलने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

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