अशोक भाटिया , मुंबई
पश्चिम बंगाल इन दिनों राजनातिक चर्चा का विषय फुल एक्शन में है। इसकी वजह कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर की घटना है। पूरे देश में इस हैवानियत के खिलाफ गुस्सा है, लोग सड़कों पर हैं। सवाल ममता बनर्जी की सरकार पर भी उठ रहे हैं। 12 दिनों से जारी इस हंगामे और पूरे घटनाक्रम पर सीएम ममता घिरी दिख रही हैं। मामले की जांच सीबीआई के हाथों में है। मामला आज उच्चतम अदालत में भी सुना जा रहा है ।आरजी कर अस्पताल की वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए गठित की गई SIT तक गठित कर दी गई है । लेकिन अभी तक इस केस से जुड़े अभी कई अनसुलझे सवाल हैं, साथ ही इस घटना ने 31 साल पुरानी एक और घटना की यादें ताजा कर दी हैं। ये कहानी इसलिए खास और विषय से संबंधित हैं क्योंकि ये घटना भी बलात्कार की थी। इसके किरदार में भी ममता बनर्जी थीं और तब भी सवाल सरकार पर उठे थे।
गौरतलब है कि साल 1993 के शुरुआती दिनों की बात है। तब प्रदेश में ज्योति बसु की सरकार थी और वामपंथ का दबदबा था। उस वक्त नदिया जिले में एक दिव्यांग से बलात्कार की घटना हुई थी। ज्योति बसु सरकार पर हमले हो रहे थे। इसी बीच पीड़िता के साथ ममता बनर्जी राइटर्स बिल्डिंग ( पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय) पहुंच गई थीं। वह तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु से मुलाकात के लिए उनके चेंबर के दरवाजे के सामने धरने पर बैठ गईं। ममता का आरोप था कि राजनीतिक संबंधों की वजह से ही दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। लेकिन बसु ने उनसे मुलाकात नहीं की।
बसु के आने का समय होने पर जब लाख मान-मनौव्वल के बावजूद ममता वहां से टस से मस होने को राजी नहीं हुईं तब उनको और पीड़िता को महिला पुलिसकर्मियों ने घसीटते हुए सीढ़ियों से नीचे उतारा और पुलिस मुख्यालय लालबाजार ले गए। इस दौरान ममता के कपड़े तक फट गए थे।बताते हैं कि इस घटना के बाद ममता ने कसम खाई थी कि अब वो मुख्यमंत्री बनकर ही इस इमारत में दोबारा कदम रखेंगी। आखिरकार 20 मई 2011 को करीब 18 साल बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर ही इस ऐतिहासिक लाल इमारत में दोबारा कदम रखा था।ममता ने इन 18 सालों में वामपंथ सरकार के खिलाफ इतने धरने किए जिसने वामपंथ सरकार की नींव हिलाकर रख दी।आखिरकार ममता सूबे की सत्ता में काबिज हो गई थीं। कहते हैं पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु तो ममता की राजनीति से इतने चिढ़ते थे कि उन्होंने कभी सार्वजनिक रूप से उनका नाम तक नहीं लिया था। इसकी बजाय वे हमेशा ममता को ‘वह महिला’ कह कर संबोधित करते थे।
वैसे तो ममता का राजनीतिक करियर कई कहानियां समेटे हुए है, जिसकी हर परत दिलचस्प भी है और संघर्ष से भरी भी। लेकिन राज्य में बलात्कार के मामलों पर कई बार ममता की भूमिका पर सवाल उठे हैं। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर से रेप-मर्डर की घटना पर ममता लगातार सवालों में हैं। हालांकि, ये पहला मामला नहीं है जब ममता पर इस तरह के मामलों में सवाल उठे हों।हंसखाली मामले को कैसे भुलाया जा सकता है, जब ममता ने रेप की घटना को अफेयर कहकर खारिज कर दिया था। ऐसे ही कामुदनी में हुई एक घटना का प्रदर्शन कर रहे लोगों को उन्होंने माकपा समर्थक बता दिया था। ममता बनर्जी की गलतियों की डायरी में ‘रेप’ सबसे ऊपर हैं। खासकर अगर उनकी पार्टी का कोई व्यक्ति दोषी हो। ममता बनर्जी ने अपनी वर्षों की सत्ता के दौरान साल-दर-साल बलात्कार के कई मामलों को झूठा बताया है। वह खुद पीड़ित हो जाती हैं जब एक महिला नेता के रूप में उनसे बलात्कार के मामलों पर जवाब मांगा जाता है। अगर विपक्ष द्वारा सवाल पूछे जाते हैं तो वह उल्टा आरोप लगा देती हैं।
गौरतलब यह भी है कि रेप और हत्या की घटना पर शुरुआत में ममता बनर्जी सरकार का समर्थन करने के बाद अब इंडिया गठबंधन की पार्टियों में तृणमूल कांग्रेस के इस मुद्दे पर निपटने के तरीके पर बेचैनी दिख रही है। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद गठबंधन के भीतर यह पहला गंभीर मामला है। हाल ही में संसद सत्र के दौरान इंडिया गुट ने एकजुटता का प्रदर्शन किया था। लेकिन कोलकाता की घटना ने हालात बदल दिए हैं। दूसरी तरफ भाजपा ममता के इस्तीफे की मांग कर रही है। मीडिया ने जिन नेताओं से बात की, वे इस बात को लेकर चिंतित थे कि भाजपा इस मुद्दे का फायदा उठाएगी, लेकिन उन्होंने घटना से निपटने के सरकार के तरीके पर सवाल उठाए। नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार जिस तरह ममता की आलोचना करने वालों पर हमले करने वालों पर कार्रवाई कर रही है, वो गलत है। खासतौर पर अपने ही राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रे के खिलाफ कार्रवाई की कोई जरूरत ही नहीं थी।
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कोलकाता की घटना पर कहा था कि “पीड़ित को न्याय दिलाने के बजाय आरोपियों को बचाने की कोशिश।” राहुल ने अस्पताल और स्थानीय प्रशासन के बारे में गंभीर सवाल उठाए थे। राहुल के इस ट्वीट पर टीएमसी ने जबरदस्त हमला बोला। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उन्हें राहुल गांधी के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद टीएमसी द्वारा उन पर बार-बार किए जाने वाले हमलों की उम्मीद नहीं थी।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी की राज्य इकाई ने राहुल से और अधिक आक्रामक रुख की मांग की थी। क्योंकि प्रदेश कांग्रेस का मानना है कि ममता सरकार ने कई स्तरों पर स्पष्ट रूप से “गड़बड़” की है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस के दबाव के बावजूद राहुल गांधी ने अपनी टिप्पणी काफी सामान्य रखी थी। लेकिन टीएमसी नेताओं ने राहुल पर भी हमला कर दिया। यहां तक भी ठीक था लेकिन ममता सरकार ने जिस तरह बाद की घटनाओं में रुख दिखाया, उस पर इंडिया गठबंधन के नेता चिंतित हैं। डॉक्टरों के प्रदर्शन पर हमला और मेडिकल कॉलेज में घुसकर तोड़फोड़, ममता के आलोचकों पर एफआईआर आदि को इंडिया गठबंधन के नेता सही नहीं मान रहे हैं।
कांग्रेस के एक नेता के अनुसार आज उन्होंने एक टीएमसी मंत्री को टेलीविजन पर यह कहते हुए दिखाया गया कि ममता बनर्जी पर उंगली उठाने वालों की उंगलियां तोड़ दी जाएंगी… फिर टीएमसी ने अपने ही राज्यसभा सांसद रे को नोटिस दे दिया… ये ऐसे मामले हैं जिनका बचाव नहीं किया जा सकता। एक अन्य नेता ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि “भाजपा राजनीति खेल रही है” क्योंकि वह बंगाल में जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है लेकिन “राज्य सरकार के कुछ कदम तर्क के विपरीत हैं।”
एक गैर-कांग्रेस पार्टी के सांसद ने कहा कि ममता सरकार तीन स्तरों पर लड़खड़ा गई – आर जी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के मामले में, जिन्हें वहां से हटाने के फौरन बाद दूसरे अस्पताल के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर आधी रात को हुए हमले की सुरक्षा करने में विफलता और अस्पताल में क्राइम सीन के पास कुछ सबूत नष्ट करने की अनुमति कैसे दी गई।
सांसद ने कहा कि टीएमसी भाजपा और सीपीआई (एम) को दोष दे रही है। लेकिन इससे तो लगता है कि “मानो आप पूरी तरह से गैर-जवाबदेह हैं और आपसे कुछ भी नहीं पूछा जाना चाहिए। और आपके सांसद हर घंटे ट्वीट करके सीबीआई पर सवाल उठा रहे हैं।।। यह इस समय अशोभनीय है। अब टीएमसी नेताओं को मेरी सलाह है कि झूठ जरा धीरे से बोलें।”
एक विपक्षी नेता ने बताया कि कैसे कोलकाता विवाद ने सरकार के खिलाफ उनके अभियान को प्रभावित किया है। नेता ने कहा कि कहां तो हम मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई न होना, गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई को लेकर भाजपा पर हमला कर रहे थे। रेप के दोषी गुरमीत राम रहीम को बार-बार दी गई पैरोल और भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं को उठा रहे थे लेकिन कोलकाता ने सब दबा दिया। यह अच्छा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले पर संज्ञान लिया है।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि राहुल गांधी भी इस मामले पर जब तक चुप रह सकते थे, चुप रहे। प्रदेश कांग्रेस को सड़क पर गुस्सा दिखाना चाहिए, और वे वही कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए। कहीं न कहीं केंद्रीय नेतृत्व को भी अपना रुख स्पष्ट करना पड़ा। अगर आपने गौर किया हो तो राहुल गांधी ने घटना के दो-तीन दिन बाद बात कही थी। न तो वह और न ही प्रियंका गांधी वाड्रा कोलकाता गए। जबकि ऐसी घटनाओं पर राहुल और प्रियंका पीड़ित परिवारों से जाकर मिलते रहे हैं।कोलकाता पुलिस द्वारा टीएमसी सांसद रे को नोटिस पर एक नेता ने कहा, ‘राज्यसभा में उपनेता या मुख्य सचेतक नियुक्त नहीं किए जाने से रे नाखुश हो सकते हैं। लेकिन वह अलग बात है। कोलकाता पुलिस द्वारा उन्हें नोटिस भेजना टीएमसी सरकार की छवि खराब करता है।