केन्द्र सरकार द्वारा बंटवारे का दर्द सहे पंजाबी परिवारों को पुरूषार्थी समाज की पदवी से नवाज़ा जाये-हरीश चन्द्र आज़ाद

केन्द्र सरकार भी पंजाबी वैलफेयर बोर्ड का गठन करे और बंटवारे में शहीद हुए हमारे पूर्वजों को शहादत का दर्जा मिले

सोमदत्त त्रिपाठी, फरीदाबाद। हरियाणा पंजाबी संस्कृति संघ के प्रदेश अध्यक्ष हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा कि 1947 में बंटवारे का दर्द सहे पंजाबी परिवारों को केन्द्र सरकार द्वारा पुरूषार्थी समाज की पदवी से नवाज़ा जाना चाहिये। उन्होंने कहा जब से यह धरती बनी है तब से आज तक इतनी बड़ी संख्या में कभी भी शहादत नहीं हुई, इतनी बड़ी बर्बादी नहीं हुई और न ही कभी इतनी बड़ी लूटपाट हुई लेकिन हमारे पुरूषार्थी समाज ने न तो आरक्षण माँगा और न ही किसी चीज़ के लिये हाथ फैलाये। अपनी मेहनत और हिन्दुत्व से प्यार के जज्बे से अपने-अपने परिवारों को फिर से उठाया लेकिन आज भी कुछ छोटी और घटिया सोच के लोग हमारे समाज को रिफूज़ी व पाकिस्तानी कहते हैं इसलिये केन्द्र सरकार को इसमें दखल देते हुए इस समाज को पुरूषार्थी समाज की पदवी से नवाजे और हमारे समाज के लिये रिफूज़ी व पाकिस्तानी शब्दों की रोकथाम के लिये सख्त कानून बनाए।

हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा कि हमारे पूर्वजों को शरणार्थी व रिफूज़ी शब्द तत्कालीन सरकार ने दिये थे जब सभी समाचार पत्रों में आता था कि शरणार्थी व रिफूज़ी कैम्पों में पूरी मदद पहुंचाई जा रही है लेकिन ज़रा सोचे कि हम रिफूज़ी या शरणार्थी कैसे हुए। हमारे पूर्वज विशाल हिन्दुस्तान के महापंजाब में रहते थे फिर आज़ादी के समय कुछ कुर्सी के स्वार्थी नेताओं ने हिन्दुस्तान का बंटवारा किया जिसमें महापंजाब का बंटवारा हुआ तब हिन्दुत्व की रक्षा के लिये हमारे पूर्वज अपना सब कुछ छोडक़र अपने हिस्से वाले हिन्दुस्तान में आ गये यहाँ ध्यान करने वाली बात यह है कि सरकार ने हमारी भूमी अधिगृहीत कर ली और उसके बदले हमें दूसरी जम़ीन दे दी फिर हमारे पूर्वज रिफूज़ी कैसे हुए। यहाँ ध्यान देने वाली एक बात और है कि हमारे पूर्वजों को जमीन के बदले पूरी जम़ीन भी नहीं दी, जो हमारा सब कुछ लूट लिया गया उसका मुआवज़ा भी नहीं दिया और हमारे पूर्वजों की शहादत को शहीद का दर्जा भी नहीं दिया इसलिये कम से कम पुरूषार्थी समाज की पदवी के हकदार तो हमारे पूर्वज के वंश है ही।

आज़ाद ने कहा कि अब बात करते हैं हमारे पूर्वजों को पाकिस्तानी कहने की ज़रा ध्यान दें हमारे पूर्वज हिन्दुस्तान में रहते थे और बंटवारे में हमारी जम़ीने पाकिस्तान को दी लेकिन हमारे पूर्वज हिन्दुस्तान से हिन्दुस्तान में ही रहे आज़ादी से पहले के विशाल हिन्दुस्तान में भी और आज़ादी के बाद अपने हिस्से के हिन्दुस्तान में अभी तक रह रहे हैं तो क्या पाकिस्तानी और रिफूज़ी शब्द हमारे पूर्वजों की शहादत को दाग लगाना नहीं है। इसलिये केन्द्र सरकार पंजाबी भी पंजाबी वैलफेयर बोर्ड का गठन करे जिसमें हम अपने शहीद हुए 13 लाख पूर्वजों को पुरूषार्थी समाज का दर्जा दिलाकर व रिफूज़ी कानून बनवाकर उन्हें सच्ची श्रद्वाजंली अर्पित कर सकें।