शासन की तमाम सुविधाओं के बावजूद भी बकस्वाहा सामुदायिक केन्द्र में नहीं मिल रहा इलाज।

बीएमओ के साथ-साथ सभी कर्मचारी रहते नदारद
बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैं इलाज के लिये मरीजों को लगाने पड़ रहे चक्कर।

विनोद कुमार जैन


बक्सवाहा/छतरपुर:- जिले से 100 किलोमीटर दूर बक्सवाहा में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बदहाल हो चुकी हैं मानो ऐसा लग रहा है कि बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को ही इलाज की जरूरत है शासन मरीजों के इलाज को बेहतर बनाने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है लेकिन अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर होने के बावजूद भी अस्पताल सूनी पड़ी है जिससे दूर- दराज से इलाज को आने वाले मरीजों को कई बार डॉक्टर के इंतजार में सुबह से शाम हो जाती है और फिर अपना इलाज कराए बिना ही वापस अपने घर की ओर जाना पड़ रहा है।


विकासखंड के 121 गांव मैं सिर्फ एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।
जिले में बक्सवाहा स्वास्थ्य केंद्र में 121 गांव के लोगों को इलाज देने का जिम्मा है लेकिन यहां पर बेपटरी हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं के चलते मरीजों को सेबाओ का लाभ नहीं मिल पा रहा है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ व सुविधाओं की कमी से मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और इलाज के लिए दमोह 50 किलोमीटर सागर 80 किलोमीटर छतरपुर 100 किलोमीटर जाना पड़ता है कई बार पत्राचार के माध्यम से भी अधिकारियों को अवगत कराया गया है लेकिन आज भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था चरमरा हुई है जिसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है मरीजों को समय पर इलाज ना मिलने पर कई बार इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है दूरदराज से आए मरीजों को इलाज ना मिलने पर मायूस होकर अपने घर या जिले में जाना पड़ता है पैसे के अभाव में कई मरीज अपने घर वापस चले जाते हैं लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों को इसका कोई फर्क नहीं इस बारे में जिले के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को भी कई बार अवगत कराया गया लेकिन इनकी लापरवाही का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
अस्पताल में पर्याप्त नही है स्टाफ।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल स्वीकृत पद लगभग 35 है जिसमें डॉक्टर के पद 6 स्वीकृत हैं जिसमें से 5 पुरुष 1 महिला डॉक्टर के पद स्वीकृत हैं इन 6 पदों के स्वीकृत डॉक्टरों में 3 पुरुष डॉक्टर एवं एक महिला डॉक्टर पदस्थ हैं जबकि 02 डॉक्टर की जगह खाली पड़ी हुई है।
मरीजों ने सुनाई आपबीती।

बक्सवाहा के थाना मे पदस्थ प्रधान आरक्षक विजय कुमार ने बताया कि जब हमारी तबीयत खराब हुई तो मैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गया जहां कोई भी डॉक्टर और स्टॉप मौजूद नहीं मिला । दरसल विजय कुमार को ड्यूटी के दौरान अचानक चक्कर आ गये जिससे वो बही गिर गये बकस्वाहा थाने का पूरा स्टाप उन्हे ले कर बकस्वाहा सामुदायिक केन्द्र पहुचा लेकिन बहॉ डॉक्टर और स्टाफ की जगह ताले लटके नजर आ रहे थे वहां देखा गया की बड़ी संख्या में दरदरा से आए मरीज अपने इलाज के लिए डॉक्टर की आश में बैठे हुए थे लेकिन स्वस्थ केन्द्र का एक भी स्टाप मौजूद नही था।

वही हरिराम सिंह लोधी का कहना है कि मैं कई बार अपने परिवार के सदस्यों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आया लेकिन मुझे आज तक कोई भी डॉक्टर नहीं मिला जिसके बाद मुझे अपने परिवार का इलाज प्राइवेट डॉक्टरों से कराना पड़ता है।

मरीजों की परेशानी, महंगी लेते दवाई।
डॉक्टरों का समय पर ना रहना सबसे बड़ी कमी है जिससे मरीजों को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में मरीज घंटों तक अस्पताल में डॉक्टर का इंतजार करके निराश लौट रहे हैं वहीं मरीजों को निशुल्क दवाइयों का वितरण भी नहीं कराया जा रहा है जिससे लोग इलाज कराने के बाद बाहर से महंगे दामों में दवाइयां खरीदनी पड़ रही है शासन के द्वारा दी दही दवाइयां मरीजों को न देकर कहां जा रही हैं यह एक प्रश्न चिन्ह है वहीं मरीजों ने बताया कि एक बारपर्ची बन जाने के बाद दूसरी बार अगर इलाज कराने आओ तो फिर से पर्ची बनवाने के लिए कहा जाता है।

अस्पताल में न रहकर चला रहे प्राइवेट क्लीनिक।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत खराब होने की सबसे बड़ी वजह है यहां के डॉक्टर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ना बैठकर प्राइवेट क्लीनिक चला रहे हैं बड़ी-बड़ी रकम पाने वाले डॉक्टर मनमर्जी से अस्पताल जाकर हस्ताक्षर बनाकर प्राइवेट क्लीनिक पर बैठते हैं और मरीजों से मोटी रकम ऐठ रहे है।
जब मरीजों का इलाज करते हैं तो सरकारी कोटे की दवा ना देकर प्राइवेट मेडिकल की महंगी दवाइयां लिख देती है जिसका महंगा वोझ लोगों की जेव पर भारी पड़ रहा है इस समस्या को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया गया लेकिन व्यवस्थाएं आज भी जस की तस बनी हुई है।
तहसीलदार भरत पॉडे पहुचे मौके पर नही मिला एक भी पदस्थ कर्मचारी।
सामुदायिक केन्द्र मे डॉक्टर और एक भी कर्मचारी न होने की शिकायत जब लोगो द्वारा तहसीलदार भरत पॉन्डे से की गई तो तहसीलदार तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुचे और उन्होने बकस्वाहा मे पदस्थ मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फोन लगा कर फटकार लगाई थोडी देर बाद ड्यूटी मे तैनात कर्मचारियों का आना प्रारंभ हुआ और मौके पर उपस्थित मरीजों का इलाज प्रांरभ हो सका।

इनका कहना है
इस संबंध में मुझे लोगो द्वारा जानकारी प्राप्त हुई थी की स्वास्थ्य केन्द्र मे ताले लगे है मैने स्वंम आ कर देखा तो सच मे ताले लगे थे इस संबध मे बकस्वाहा मे पदस्थ बी एम ओ को नोटिस जारी कर जबाब मॉगा जायेगा
और कार्यवाही के लिये वरिष्ठ अधिकारीयो को लिखेंगे।

भरत पांडे तहसीलदार बकस्वाहा

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