संवाददाता, अम्बेडकरनगर।
राजेसुल्तानपुर (अम्बेडकरनगर)। अम्बेडकर नगर की कुल पांचों विधानसभा सीटों पर हारी भाजपा की पराजय के अनेक कारण हैं किंतु आलापुर विधानसभा हारने की बड़ी वजह पार्टी के परंपरागत निषाद व मौर्य मतों का अन्य दलों खासकर सपा की ओर झुकाव होना रहा। अलबत्ता हर बूथ पर बड़ी संख्या में सवर्ण वोटों का नाम लिस्ट से नदारद होना भी एक खास कारण माना जा सकता है। ज्ञातव्य है कि पहले जहांगीरगंज नाम से जानीजाने वाली आलापुर विधानसभा में रामनगर ब्लॉक सपा तो जहांगीरगंज भाजपा का गढ़ माना जाता है।किंतु अबकी दफा चुनावों में जहांगीरगंज ब्लॉक का यह मिथक टूटना ही भाजपा की हार का प्रमुख कारण बना औरकि त्रिवेनीराम की नौका जीत के करीब पहुँचते पहुँचते डूब गयी।जिससे हार के कारणों की समीक्षा होनी वाजिब है।जाहिर है कि सूबे में सरकार बनाने जा रही भाजपा के लिए उसके दो सिटिंग विधायक रहते हुए भी जिले में सिफर पर जाना काफी कचोटता तो अवश्य होगा।
वास्तव में आलापुर की सीट भाजपा के लिए पहले से ही काफी मुफीद मानी जा रही थी किन्तु चुनावपूर्व सर्वेक्षणों के इतर वर्तमान विधायक के ससुर त्रिवेनीराम को टिकट मिलने से ही भाजपाई कार्यकर्ताओं व मतदाताओं का उत्साह ठंडा पड़ गया था क्योंकि पूरे पांच साल तक चकरोड से नाली तक के विवाद वाले प्रकरणों में व्यापक हस्तक्षेप किये जाने से सवर्ण मतदाताओं में विधायिका अनीता कमल व उनके पति अवधेश कमल को लेकर काफी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर थी।यही कारण है कि आलापुर में भाजपा को जो भी मत मिले वे योगी मोदी के नामपर मिले न कि वर्तमान विधायक के कार्यों व व्यवहार के बलपर।यही कारण है कि जब सपा के क्षेत्रीय जातीय नेतागण गांव गांव मौर्यों व निषादों को सपा के पक्ष में लामबंद कर रहे थे तो अनीता कमल से खफा भाजपा के पदधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने उन्हें वापस लाने का कोई भी प्रयास नहीं किया।
यहां यह बात काबिलेगौर है कि विधायक अनीता कमल व स्वयम प्रत्याशी त्रिवेनीराम भी भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी से बखूबी वाकिफ थे किन्तु उन्होंने उन्हें मनाने व साथ लेकर चलने की बजाय कुछ मठाधीशों की ही बात मानते हुए चुनावों में लगे रहे।इसप्रकार भाजपा का परंपरागत वोटबैंक मौर्य जहां साईकल की तरफ तो वहीं निषाद नाव की ओर झुकता गया और इसप्रकार त्रिवेनीराम जीतते हुए हार गए।
आलापुर में भाजपा की पराजय के बाबत राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अयोध्या मण्डल संयोजक उदयराज मिश्र के मुताबिक आलापुर सहित जिले की सभी पांचों सीटों पर पराजय की एक वजह स्वयम भाजपा की जिला यूनिट से लेकर जमीनी स्तर पर सांगठनिक उठापटक भी है।श्री मिश्र के अनुसार भाजपा पदाधिकारी थानों से लेकर ब्लॉक व तहसील की सियासत में व्यस्त थे।जिससे उनका आमजनता से कोई सरोकार नहीं रह गया था।यही कारण है कि चुनावों में जनता ने भी उन्हें कोई तबज्जो नहीं दी।इसीप्रकार निषादों के बीच भी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद अपनी जगह बनाने में कामयाब नहीं हुए तथा सांसद प्रवीण निषाद का एकबार भी क्षेत्र का दौरा न करना पार्टी पर भारी पड़ा।