ब्यूरो रिपोर्ट, फतेहपुर।
फतेहपुर। वैसे तो फतेहपुर की राजनीति गुटबाजी का शिकार हमेशा से रही है, किंतु वर्चस्व की जंग में किसी प्रत्याशी का मात्र कुछ हजार वोटों से हार जाना अपने आप में यह साबित करता है कि उस प्रत्याशी की हार को सुनिश्चित करना और उसे मुकाम तक पहुंचाना एक राजनीतिक षड्यंत्र का बड़ा हिस्सा कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी।
फतेहपुर की सदर विधानसभा सीट जो हमेशा से भाजपा के लिए सुरक्षित और मजबूत मानी जाती थी इस बार कहीं ना कहीं गुटबाजी के चलते इस सीट पर मात्र कुछ हजार वोटों से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विक्रम सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा। लोगों के बीच आम चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष आशीष मिश्रा बनाम विधायक विक्रम सिंह के अति नजदीकी अभिषेक शुक्ला के बीच खिंची वर्चस्व की लकीर ने भाजपा को कड़ी चुनौती के बीच लाकर खड़ा कर दिया जिसका नतीजा यह रहा कि अंततः कुछ हजार वोटों से भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। आने वाले वक्त में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय एवं प्रदेश नेतृत्व को इस गंभीर विषय पर विचार करना होगा कि इस तरह की गुटबाजी के चलते उनका प्रत्याशी ना हारे और समय-समय पर इस तरह के लोगों को चिन्हित किया जाता रहे जो पार्टी के हित को ध्यान में ना रखते हुए स्वयं का हित ढूंढ़ने में मस्त रहे। इस तरह के मौका परस्त लोगो पर पार्टी नेतृत्व को समय-समय पर कार्यवाही भी करते रहने चाहिए।