छत्तीसगढ़ राज्य का हसदेव जंगल काटे जाने के विरोध में युवाओं के द्वारा तहसीलदार के माध्यम से राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपाल मुख्यमंत्री के नाम सौपा गया लिखित ज्ञापन।

विनोद कुमार जैन

छतरपुर/ बक्सवाहा:- युवा आशिक मंसूरी ने कहा कि सरकारें केवल जंगल कटवाकर ही विकास की परिभाषा क्यो देती है यह एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता सरकारों की कार्यशैली पर भारत देश के छत्तीसगढ़ राज्य के हसदेव जंगल में कोयला खनन के लिए पेड़ो की कटाई पर रोक लगा कर आदिवासियो के सवैधानिक अधिकार की रक्षा करने बाबत। माननीय जी निवेदन करते है कि हसदेव अरण्य मध्यभारत का समृद्ध जंगल है जो जैव विविधता से परिपूर्ण है. और कई विलुप्त वनस्पति और जीव जन्तुओं का रहवास है. यह जंगल हसदेव नदी और उस पर बने मिनी नाता बांगो बांध का स्त्रोत है जिसमें रायगढ़ कोरवा और बिलासपुर जिले के किसानों की जमीन सिंचित होती है। हसदेव के जल जंगल जमीन पर वहा के आदिवासियों की कई पीढ़यों से आजीविका होती है और उनकी आज भी जंगल पर निर्भरता है। छत्तीसगढ़ का हसदेव जंगल क्षेत्र पाँचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वहा के ग्राम सभाओं ने पिछले एक दशक से कोयला खनन परियोजना का विरोध किया है।

ग्राम सभाओं के विरोध के बावजूद आदिवासियों के जल जगल जमीन को कोयला खनन परियोजन के लिए गैर कानूनी रूप से पेड़ों की कटवाई की जा रही है हसदेव के जंगल हाथियों का इलाका है, यादि खनन परियोजना के लिए पेड़ी की कटाई अधिक होगी तो आवासीय क्षेत्र में हाथियों का बसेरा है अगर यह जंगल कट जायेगा तो सैकड़ों हाथी इन्ही इलाकों मे विचरण करेंगे तो यह आंशका ये भी है जंगल कट जाएंगे तो हाथी और मानव समाज में द्रद्द चरम पर होगा  आज वर्तमान समय जगत होने के बावजूद हाथी मानव संघर्ष हो रहे है यह खबर लगातार आती रहती है। कोयला खनन के लिए पेड़ों की कटाई के पक्ष में वहां के स्थानीय आदिवासी समाज नहीं है क्योंकि इससे आदिवासी समुदाय का बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा। इसके अतिरिक्त यह भी गौर तलब है कि यह इलाका पाँचवी अनुसूची क्षेत्र में आता है और यहाँ पैसा एक्ट कानून के अंतर्गत ग्राम सभाओं को खनन की अनुमति देने या न देने का विशेष अधिकार है। वन अधिकार कानून के तहत भी आज दिन तक आदिवासियों के वा अधिकार सुनिक्षित नहीं किये गये है। कोयला खनन के लिये आदिवासीयों के मानव अधिकारों और सवैधानिक अधिकारों का लगातार हनन किया जा रहा है। माननीय राष्ट्रपति जी केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपील है कि आदिवासियों के सवैधानिक अधिकारों की रक्षा हेतु छ.ग के हसदेव जगल में कोयला ब्लॉक के लिए पेड़ो की कटाई पर रोक लगाने और इस जंगल में सभी कोल ब्लाकों को रद करने के लिये निर्देश शीघ्र देने का कष्ट करें। ज्ञापन देने वालों में मौजूद रहे  आशिक मंसूरी बकस्वाहा,इंजी उमेश वर्मा, संतोष यादव,अनिकेत लोधी, बृजेश बंशकार,दयाल बंशकार, आदि लोग