बक्सवाहा क्षेत्र के जरा जंगलों के बीहड़ में बैठी है भगवती।
||विनोद कुमार जैन||
बक्सवाहा:- क्षेत्र में महज 8 कि.मी की दूरी पर ही ग्राम जरा के नजदीक स्थित बीहड़ के बीचो-बीच विराजने वाली मां जगदंबे के यहां इन दिनों भक्तों का तांता लगा रहता है साफ है नवरात्रि पर मां की चमत्कारिक पूजा एवं उनके चमत्कार भक्तों की होड़ उनके दरबार में लगाए रहते हैं।
|| सभी भक्तो की मनोकामनायें होती हैं पूरी||

बक्सवाहा~नगर से 8 किलोमीटर दूर ग्राम जरा के जंगल के बीचो-बीच विराजमान मां जगदंबे का मंदिर क्षेत्र में आस्था का केंद्र माना जाता है यहां नवरात्रि के साथ-साथ प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ दर्शन मन्नत मांगने पहुंचते है नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र के अलावा दूर-दूर से शहरों तक के श्रद्धालु आते हैं।

इस प्राचीन मंदिर के बारे में बताया जाता है कि मां कई वर्षों पूर्व घने जंगल में देवी मां की प्रतिमा जमीन से एक पीपल के वृक्ष के नीचे निकली थी जानवरो, चरवाहों ने उसे साफ सफाई कर चबूतरे पर विराजमान कर दिया घने जंगल में होने के कारण और पास में जरा ग्राम होने पर मां का मंदिर जरा की देवी जगदंबे के नाम से जाना जाने लगा उनके कई चमत्कारिक काम हुए जो भी हम सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है धीरे धीरे जरा गांव के इन जंगलों में जरा की देवी मां जगदंबे का भव्य मंदिर बना दिया गया मां के दर्शन करने को दूरदराज से लोग आते हैं उनकी मनोकामना भी मां के द्वार में पूरी होती है मंदिर के पुजारी ने बताया कि मां की कृपा से कई चमत्कार हुए है , मां के दरबार में जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूरी होती है यहां पर लोग नवरात्रि के अलावा भी लोग दर्शन करने आते हैं आषाढ़ के महीने में सबसे अधिक भीड़ श्रद्धालुओं की रहती है