एक हेक्टेयर की लीच पर पद्रह सालो से हो रहा उत्खन फिर भी पत्थर समाप्त नही हुआ।

\\विनोद कुमार जैन\\

दिन रात धडा धड चल रहे बक्स्वाहा मे क्रेशर।

छतरपुर/बकस्वाहा:- ब्लॉक में लगभग 12 क्रेशर जिसमें सर्वाधिक बकस्वाहा दमोह मार्ग पर स्थित ग्राम जुझारपुर के पास क्रेशरों का संचालन किया जा रहा है सूत्रो की माने तो उन क्रेशरो मे अधिकांश क्रेशर ऐसे है जिनकी लीज दस से पन्द्ररह साल पहले एक हेक्टेयर जगह की लीच स्वीकृत हुई थी और दस से पन्द्रह साल गुजरने पर भी पत्थर समाप्त नही हुआ यहां एक जॉच का विषय है क्रेशर के आस पास की जितनी भी सरकारी जगह थी उस सैकडो ऐकड जगह मे अपने आप कई मीटर गहरे और चौडे गढ्ढे हो गये है. ग्राम कुई किशुनपुरा, गढीसेमरा, जुझारपुरा पंचायत की लगभग पचासो हेक्टेयर जगह मे से पत्थर निकाल कर शासन को कई करोड के राजस्व की हानि पहुचा चुके है।

सूत्रो की माने तो जितनी जगह मे क्रेशर संचालको की लीच है है उसमे पत्थर बिल्कुल निकाला ही नही गया है वो आज भी थोडा बहुत दिखावे के लिये बचा रखी है। लेकिन फिर भी अबैध उत्खनन कर दिन रात क्रेशर चल रहे है। आखिर सवाल ये उठता है जितनी लीच सरकार से ली गयी क्या दस से पन्द्रह साल तक उसी मे से पत्थर आज तक निकल रहा है ये जॉच का बिषय है।

अगर इन सभी क्षेत्रो का ईमानदारी से जॉच की जाये तो सरकार को कई करोड की रायलटी का नुकाशन हुआ होगा जिसके जिम्मेदार सिर्फ बहॉ लगी क्रेशर मलिक होगे। सूत्र बताते है की बहॉ पर कुछ क्रेशर तो शासन के नियमो के विरुद्ध संचालित हो रहे है कुछ क्रेशरो के पास पर्यावरण व सीया की स्वीकृती भी नही है फिर र भी अबैध तरीके से क्रेशर संचालित हो रहे है। क्रेशरो से उड़ने वाली धूल से न केवल ग्राम वासी परेशान हैं बल्कि छतरपुर जबलपुर मार्ग से निकलने वाले राहगीर के साथ साथ कालेज मे पढाई करने बाले हजारो छात्र – छात्राये भी परेशान है क्रेशरों की शिकायत ग्रामीणों व छात्र – छात्राओं द्वारा कई बार प्रदूषण विभाग एवं खनिज विभाग, राजस्व विभाग से की गई पर क्रेशरों द्वारा कोई सुधार नहीं किया। कुछ दिनो मे उसी स्थान के समीप सिविल कोर्ट बनाने बाली है. फिर देखना रोचक होगा की प्रशासन इन क्रेशरो की क्या व्यवस्था करता है।

बकस्वाहा से दमोह मार्ग पर जाने वाले राहगीरों ने बताया कि क्रेशरों से निकलने वाली धूल स्टेस्ट हाईवे 37 पर इतनी ज्यादा फैली हुई होती है कि राहगीरों को सामने आने वाली गाड़ियां भी दिखाई नहीं देती ऐसे में अनेको सड़क हादसे होते हो चुके हैं विभाग से शिकायत की गई कि प्रदूषण रोधी कवर लगाया जाए पर आज तक ना प्रदूषण विभाग में खनिज विभाग ने इस ओर कोई ध्यान दिया अनियमितताओं का दौर यह है कि जुझारपुर में बने स्कूल में बच्चे जाते हैं और धूल वहां तक उड़ कर जाती है आय दिन होने वाली ब्लास्टिंग से बच्चे सहम जाते हैं ग्रामीणों से जब बात की गई उन्होंने कहा कि शिकायतों के बाद अधिकारी केवल सेटिंग बनाने तक ही सीमित है जिस कारण क्रेशरों संचालको द्वारा की जा रही अनिमितताए नजर नही आती।

राजनेतिक संरक्षण के कारण अधिकारी नही करते कारवाही।
क्रेशर संचालको को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है इसलिए उनको किसी अधिकारी का कोई डर नही है जिसके चलते क्रेशर संचालक लगातार अनिमितता करते है ओर अधिकारी कारवाही करने से बचते नजर आते है उन सब के बीच मे बुरा हाल आम लोगो का ग्रामीणों का है

स्ट्रोन क्रेसरो द्वारा अबैध खुदाई एवम ब्लास्ट करके पत्थर निकलने का मामले यूं तो बकस्वाहा के समीपस्थ ग्रामों से आते ही रहते है परंतु अब तो आये दिन होने वाली ब्लास्टिंग और क्रेशर से उडने वाली धूल ने स्वच्छ और शुद्ध में रहने वाले ग्रमीणों का जीना मुश्किल कर दिया। आलम यह है कि बेसमय होने वाली ब्लास्टिग से रात में बच्चों का चैन से सोना भी दूभर है । चौबीस घंटे धूल और डस्ट से उडने की वजह से दमोह रोड के आसपास के गॉव जुझारपुरा गढीसेमरा कुई किशनपुरा में लोगो को असमय स्वास दमा जैसी बीमारिंयो का भय बना रहता है। गौरतलब है की नियमों की धज्जियां उडाते हुये शासन प्रशासन को चिढाते नजर आते है और इनके आसपास लगी कृषि भूमि और फसल को भी भारी नुकसान झेलना पढता है जिसका सीधा असर किसानो की आर्थिक हालात पर पढ रहा है ।

डॉक्टरों के अनुसार क्रेशर से उठने वाली धूल सीधे मनुष्य के फेफडो पर असर करती है जिससे स्वॉस दमा एवं अस्थमा जैसे रोगो को बढावा देती है। जिस क्षेत्र में क्रेशर ज्यादा है वहां के गाँव मे ये केस ज्यादा आते है
बेख़ौफ़ प्रदूषण फैला रहे स्टोन क्रेशर।
बक्सवाहा स्टेट हाइवे पर संचालित स्टोन क्रेशरों से निकलने वाला धूल का गुबार लोगो की परेशानियों का सबब बना हुआ है स्टोन क्रेशर मालिक अपने निजी स्वार्थ के लिए पर्यावरण के साथ साथ वहाँ रहने वाले लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और बेख़ौफ़ नियम विरुद्ध क्रेशर संचालित कर रहे है लगातार प्रदूषण फैला रहे स्टोन क्रेशरों को नियमानुसार संचलित करने के लिए समाचार पत्रों के माध्यम से समस्या को उजागर किया गया पर अधिकारियों द्वारा स्टोन क्रेशर मालिको को नोटिश थमा दिया जाता हैं और ठंडे बस्ते मे डाल दिया जाता है आज तक हालात जस के तस बने रहने है।
क्रेशर संचालक नियमो की उड़ा रहे धज्जियाँ
स्टोन क्रेशर उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ जरूरी व्यवस्थाये करनी होती है जैसे स्टोन क्रशर के चारो तरफ ऊंची बाउंड्री बॉल का निर्माण करना और बाउंड्री बॉल के पास सधन बृक्षारोपण करना, कुछ क्रेशरो के मालिको ने बाउंड्री के नाम पर कुछ चद्दर के टीन खडे कर खाना पूर्ती कर इति श्री कर लिया ,परिवहन मार्गो पर पानी छिड़काव कराना, क्रशिंग मशीन एवं स्क्रीन को पूर्ण रूप से एम एस सीट से कवर करना, क्रेशर मशीन के पास जल छिड़काव की व्यवस्था करना एवं डस्ट कन्वेयर में भी पानी के छिड़काव की व्यवस्था करना जरूरी है पर इन संचालित स्टोन क्रेशरों पर ये सारी व्यवस्थाये देखने को नही मिलती फलस्वरूप सारा दिन उड़ता धूल का गुबार पर्यावरण नियंत्रण के नियमो को ठेंगा दिखा रहा है
स्टेट हाइवे धुँआ धुआँ
छतरपुर से जबलपुर को जोड़ने वाला स्टेट हाइवे NH37 जो कि व्यस्ततम मार्गो में से एक है जहाँ रोजाना हजारो की तादाद में वाहनों का आना जाना है वही स्टेट हाइवे से महज सौ मीटर की दूरी पर संचालित स्टोन क्रेशरों से निकलने वाले धूल के गुबार से राहगीरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है
धूल का गुबार दे रहा गंभीर बीमारियों को न्यौता
क्रेशरों के नजदीक बसी बस्तियों में निवास कर रहे लोग बढ़ते प्रदूषण के चलते गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे है लेकिन क्रेशर संचालक अपने तानाशाह रवैये के चलते लोगो की जान जोखिम में डाल अपना व्यापार धड़ल्ले से चला रहे हैं. खदान से महज पॉच सौ मीटर कि दूरी पर है शासकीये महाविधालय. जुझारपुरा स्थित क्रेशरो का अबैध उत्खनन करने मे माहिर है जिस जगह की लीच क्रेशर संचालको द्वारा शासन से ली गयी है वो बहॉ खुदाई न करके अन्य जगह से अबैध उत्खनन कराते है। जहॉ उत्खनन होता है बहॉ से महज पॉच सौ मीटर की दूरी पर शासकीये महाविद्यालय स्थित है जहॉ लगभग एक हजार बच्चे और बच्चीयॉ रोज पढाई करने आते है शासकीये महा विधालय मे बी एस सी के लगभग दौ सौ छात्र छात्राएँ व बीए के लगभग सात सौ छ: छात्र छात्राएं और बाकी का स्टाप शामिल है।
प्राचार्य ने बताया छात्र-छात्रा में भय का माहौल।
महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बताया कि क्रेशर प्लांट पर होने वाली ब्लास्टिंग से कॉलेज की बिल्डिंग में कंपन होता है ! जिससे हम लोगों में निरंतर भय बना रहता है ! प्राचार्य शिवम शुक्ला ने बताया कि हाई तीव्रता की ब्लास्टिंग होने से कॉलेज की बिल्डिंग में कम्पन होता है और प्रदूषण से गंभीर बीमारी फैलने का डर है !

इस मामले मे तहसीलदार भरत पांडे का कहना है कि मै सभी क्रेशर के पूरे दस्तावेज मॉगवा कर जॉच कर्ता हू जो भी अनियमितता पाई जायेगी तो कार्यवाही की जायेगी