करोड़पति रिक्शा चालक की गिरफ्तारी ने खड़े किए सवाल : सरकारी जमीन के बड़े घोटाले में जिस तहसीलदार ने 6 साल पहले जांच नहीं की उसी ने कराई FIR

संवाददाता, बिलासपुर।

जमीन घोटोले के केस में पुलिस ने भोंदूदास को गिरफ्तार किया।

जमीन हेराफेरी का मामला सरकंडा थाना क्षेत्र के लगरा गांव का है

बिलासपुर। तोरवा क्षेत्र के हेमूनगर में रहने वाले रिक्शा चालक भोंदूदास मानिकपुरी ने 2015-16 में बिलासपुर तहसीलदार के न्यायालय में लगरा स्थित अपनी जमीन के दस्तावेज में नाम सुधरवाने के लिए आवेदन किया था। भोंदूदास ने बताया कि उसने वासल बी. निवासी जूना बिलासपुर से लगरा में 11 एकड़ 20 डिसमिल जमीन को पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से खरीदा था। इसके बाद से जमीन उसके नाम पर दर्ज थी। बीते दिनों राजस्व दस्तावेज से उसका नाम विलोपित हो गया है। दस्तावेज में सुधार के लिए आवेदन मिलने पर तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर ने कार्रवाई शुरू की थी। ईश्तहार प्रकाशन में कोई दावा-आपत्ति नहीं मिलने पर तहसीलदार संदीप ठाकुर ने बिना जांच के10 अक्टूबर 2016 को मामले को आदेश के लिए एसडीएम न्यायालय को भेज दिया।

डिप्टी कलेक्टर बनने के बाद दर्ज कराई FIR
इधर, रिक्शा चालक भोंदूदास के नाम करोड़ों रुपए कीमती जमीन रजिस्ट्री होने का मामला मीडिया में सुर्खियां बन गई। दैनिक भास्कर डिजिटल ने भी इस जमीन घोटाले पर खबर की। लिहाजा, पुलिस के आला अधिकारियों ने जांच के लिए टीम बनाई। जांच के दौरान पता चला कि लगरा और चिल्हाटी की आवेदित जमीन दस्तावेज में सरकारी है। जांच में यह भी पता चला कि भोंदूदास ने भू-माफिया और राजस्व अफसरों की मदद से फर्जी दस्तावेज के माध्यम से सरकारी जमीन को कब्जा करने कोशिश की है। इसके लिए उसने न्यायालय में फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किया है। अब जांच में गड़बड़ी सामने आने पर पुलिस ने तत्कालीन तहसीलदार और कवर्धा के वर्तमान डिप्टी कलेक्टर संदीप ठाकुर की रिपोर्ट पर छह साल बाद भोंदूदास के खिलाफ धारा 120 बी, 193, 420, 467, 468 व 471 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। यही नहीं आनन-फानन में रविवार को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

छह साल पहले तहसीलदार ने क्यों नहीं पकड़ा मामला
डिप्टी कलेक्टर संदीप ठाकुर ने पुलिस को बताया है कि जब साल 2015-16 में वे बिलासपुर में तहसीलदार थे। तब उनके न्यायालय में भोंदूदास की ओर से ग्राम लगरा की भूमि के संबंध में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने तब न्यायालयीन कार्रवाई करने का दावा किया है। अब जब मामले की जांच में राजस्व रिकार्ड के हेराफेरी का खेल सामने आ गया है। तब सुनियोजित तरीके से अनजान बनकर उन्होंने न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करने का उल्लेख किया है। इसके साथ ही उनके प्रमोशन के बाद छह साल बाद उनकी तरफ से शिकायत लेकर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। ऐसे में करोड़ों रुपए के इस जमीन घोटाले में पुलिस की जांच के बाद राजस्व अफसरों को बचाने का खेल शुरू हो गया है। जाहिर सी बात है कि, छह साल पहले राजस्व रिकार्ड में हेराफेरी की गई थी, तो उस समय के राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से ही खेल हुआ होगा। ऐसे में जिस तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध है। उसकी तरफ से ही शिकायत लेकर पुलिस की ओर से की जा रही इस कार्रवाई में तहसीलदार के साथ ही पुलिस अफसरों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

CM ने दिए थे जांच के आदेश, फिर भी कर दी लीपापोती
पुलिस के इस कारनामे को लेकर शहर में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। जमीन घोटाला उजागर होने पर CM भूपेश बघेल ने इसे गंभीरता से लिया था। उन्होंने IG रतनलाल डांगी को जांच के लिए टीम गठित करने के निर्देश दिए थे। साथ ही यह भी स्पष्ट कहा था कि जो भी दोषी अधिकारी है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। CM के इस निर्देश के बाद भी पुलिस अफसरों ने जांच के बाद राजस्व अफसरों को बचाने के लिए जो खेल खेला है। उससे सब हैरान है।