गुरु अर्जुनदेव की शहीदी पर्व : लगी ठंडे मीठे पानी की छबील, लंगर में बांटे चनेसिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव के शहीदी पर्व पर मंगलवार को सिख समाज ने गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा चाम्पा में एवं बरपाली चौक में ठंडे मीठे पानी की छबील लगाई।

चाम्पा .सिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव के शहीदी पर्व पर मंगलवार को सिख समाज ने गुरुद्वारा साहिब में एवं बरपाली चौक पर ठंडे मीठे पानी की छबील लगाई। सुबह गुरुद्वारों में भी पिछले सप्ताह भर से चल रहे सुखमणि साहिब जी के पाठ की लड़ी की भी समाप्ति हुई और चने व शर्बत का लंगर बांटा। दिनभर सेवादारों ने राहगीरों को शर्बत पिलाकर सेवा की, ताकि इस गर्मी में कोई कंठ प्यासा ना रहे। छबील लगाने के पीछे मानना है कि जो यातना गुरु अर्जुन देव ने सहन की वैसी यातना किसी को भी न मिले। गुरुद्वारों में सुबह से शबद कीर्तन के बाद लोगों ने छबील लगाई। बरपाली चौक पर सिखों ने ठंडे मीठे पानी की सेवा की एवं शर्बत पिला कर चिलचिलाती धूप में ठंडक का एहसास कराया। सिख समाज की संगत ने शर्बत और चने का वितरण किया।

गुरु की याद में
गुरुद्वारों में लगभग सप्ताह भर पहले से रोज दोपहर सुखमणि साहिब जी के पाठ की लड़ी शुरू हुई थी जिसकी समाप्ति मंगलवार सुबह को हुई। चाम्पा स्थित गुरुद्वारा के ज्ञानी निहाल सिंह ने बताया कि सिखों के पांचवे गुरू अर्जुनदेव को धर्म परिवर्तन नहीं करने पर मुगलों ने गर्म रेत पर बैठाया था, फिर भी उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हंसते-हंसते शहीद हो गए थे। उनके इस बलिदान को याद कर देशभर के सभी गुरुद्वारों में पाठ किया जाता है, और इस दौरान रोजाना ठंडा मीठा पानी पिलाया जाता है। इधर गर्मी के दिन होने की वजह से पानी पिलाकर भी समाज के लोग पुण्य कमाते हैं।

इसलिए पिलाते हैं मीठा पानी
मीठे पानी का शर्बत ठंडक का प्रतीक है ताकि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को प्यासा न रखें। जब मुगल बादशाह जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव जी को गर्म लोहे की कढ़ाई में बैठाकर उन पर गर्म रेत डलवाई तो वे बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए और वाहेगुरु का सिमरन करते रहे। उन्हें पानी की बूंद तक के लिए तरसाया गया। उन दिनों जेठ का महीना था और गर्मी का दिन था। गुरु की सहनशीलता के आगे मुगल भी हार गए। तब से उनके शहीदी दिवस पर ठंडे पानी की छबील लगाई जाती है ताकि प्यास की वजह से किसी की आत्मा को कष्ट न हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *