सब जीवों के हितार्थ जन्मे महावीर, राम, हनुमान और प्राप्त किया सिध्दत्व
शिवराम अठ्या के साथ सौरभ जैन की रिपोर्ट

बकस्वाहा(छतरपुर)मप्र. / – जैन धर्म के चौवीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2621 वां जन्म कल्याणक महोत्सव परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका श्री सत्यमति माताजी , श्री सकलमति माताजी , श्री हेममति माताजी ससंघ के मंगल सानिध्य मे प्रभातफेरी, अभिषेक पूजन, शोभायात्रा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ।

इस पावन अवसर पर प्रात:काल पारसनाथ जैन मंदिर से प्रभात फेरी संगीत व दिव्यघोष के साथ निकाली गई तत्पश्चात यहां के दोनों प्राचीन मंदिरों मे पूजन अभिषेक किया गया । दोपहर मे मंदिर जी से श्रीजी भगवान की शोभायात्रा प्रारंभ हुई जो अहिंसा मार्ग से होते हुए पुराना बस स्टैंड ,अहिंसा चौक के पास गांधी चबूतरा मैदान मे पहुंची, जहां पर भगवान महावीर स्वामी का कलशाभिषेक किया गया,समारोह मे मंगलाचरण ब्रम्हचारिणी बहिन छाया, वंदना, आस्था दीदी ने किया तथा अभिषेक की क्रियायें विद्वान पंडित दयाचंद्र जैन (सुनवाहा बाले) सतना ने विधिवत सम्पन्न कराई, तत्पश्चात आर्यिका माताजी ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि धर्म की शुरुआत की पहली सीढी सर्व जीवो के प्रति दया करुणा का भाव होना है ,भगवान महावीर , राम व हनुमान सर्व जीव रक्षार्थ जन्मे, जिन्होंने तप रुपी श्रंगार करते हुए मोक्ष प्राप्त किया । पूज्य आर्यिकाओं ने जन्म कल्याणक की महिमा और महावीर स्वामी के प्रमुख सिद्धांतो को बताया और कहा कि उनके सिद्धांतों को ह्रदय में उतारना ही महावीर जयंती है । धर्म सभा के उपरांत श्रीजी की शोभायात्रा संगीत,दिव्यघोष और बैण्डबाजों पर थिरकते जयकारा करते बस स्टैंड , भगवान महावीर मार्ग से होते हुए वापस मंदिर पहुंची । शोभायात्रा मे पाठशाला के बच्चे, महिला एवं पुरुष वर्ग पारम्परिक वेशभूषा मे तपती दुपहरिया के बाद भी नंगे पैर चल रहे थे।

तो वही पालना झुलाकर शिशुओं को दी शुभकामनाएं।
इस पावन अवसर पर रात्रि में मंदिर जी मे संगीत के साथ महाआरती करने का सौभाग्य सेठ सुकमाल गोल्डी, श्रेयांश व सौरभ परिवार को प्राप्त हुआ , साथ ही सेठ सौरभ व श्रीमती मोहनी के नवजात शिशु सुपुत्र देशांस जैन को बालक महावीर का पात्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ,जिस बालक के पालना झुलाने, तिलक ,माला,उपहार भेंटकर शुभकामनाएं देने का कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र रहा । इस अवसर पर नगर के समस्त नवजात शिशु को उनकी माता पिता आकर्षक वेशभूषा मे सजाकर मंदिर जी लाया गया जहां पर उनका तिलक माला और उपहार भेंट कर शुभकामनाएं देकर अभिवादन किया गया। देर रात तक पाठशाला के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं जन्म कल्याणक नाटिका प्रस्तुत किये गये, वही ब्रम्हचारिणी दीदी द्वारा भगवान महावीर के आदर्श ,सिध्दांत बताकर आत्मसात करने का आव्हान किया।