भारतीय शिक्षण मंच द्वारा प्राथमिक शिक्षकों का प्रशिक्षण वर्ग गुरुकुल संकुल में प्रारंभ
बच्चों को एकात्मता स्त्रोत एवं श्रीमद्भागवत गीता श्लोकों की शिक्षा हेतु डीआरआई में प्राथमिक शिक्षकों को किया जा रहा प्रशिक्षित
ब्यूरो रिपोर्ट – सक्सेस मीडिया न्यूज
——————————————————
चित्रकूट 27 मार्च 2022 । दीनदयाल शोध संस्थान के शैक्षणिक प्रकल्प गुरुकुल संकुल चित्रकूट में भारतीय शिक्षण मंच द्वारा हिंदू जीवन अभ्यास क्रम के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षकों का प्रशिक्षण वर्ग 26 मार्च से शुरू किया गया है जो 29 मार्च तक चलेगा। दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन एवं भारतीय शिक्षण मंच के श्री दिलीप केलकर द्वारा दीप प्रज्जवलित कर इस प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर डीआरआई के स्वावलंबन अभियान प्रभारी डॉ अशोक पांडे, सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय के प्राचार्य श्री मदन तिवारी, गुरुकुल संकुल प्रभारी श्री संतोष मिश्रा एवं सभी शैक्षणिक प्रकल्पों के प्रधानाचार्य प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इस प्रशिक्षण शिविर में दीनदयाल शोध संस्थान के सभी शैक्षणिक प्रकल्प सुरेंद्रपाल ग्रामोदय विद्यालय, रामनाथ आश्रम शाला, कृष्णा देवी वनवासी बालिका आवासीय विद्यालय मझगवॉ, परमानंद आश्रम पद्धति विद्यालय गनीवां, शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र, गुरुकुल संकुल आदि विद्यालयों के प्राथमिक शिक्षक इस शिविर में अपनी सहभागिता कर रहे हैं। जिनको भारतीय शिक्षण मंच के प्रशिक्षक श्री दिलीप केलकर, श्री राम दातार एवं श्री पराग बावरिया के नेतृत्व में भारतीय जीवन पद्धति पर विशेष पाठ्य पुस्तक के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र के प्रभारी श्री कालिका श्रीवास्तव ने बताया कि प्राथमिक शिक्षकों के इस चार दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में भारतीय जीवन पाठ्यक्रम पुस्तक के माध्यम से कक्षा एक के बच्चों के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। जिसमें गायत्री मंत्र, संगठन मंत्र, पवमान मंत्र, शांति मंत्र, एकात्मता स्त्रोत, श्रीमद्भागवत गीता के चुने हुए श्लोक, जीवन दृष्टि का गीत, दोहे, भारतीय जीवन के व्यवहार सूत्र, हमारा राष्ट्रीय साहित्य, हमारे पूर्वज, गौरवशाली भारत आदि महत्वपूर्ण विषयों को शामिल करके बहुत ही सरल एवं रुचि पूर्ण भाषा में इस पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है। भारतीय शिक्षण मंच के प्रशिक्षक श्री दिलीप केलकर ने कहा कि साधारणतः पांच से छह वर्ष की आयु में बालक कक्षा १ में प्रवेश करता है। इस आयु में बच्चों की स्मरण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है। इस आयु में जो कंठस्थ कर लिया वह वे जीवन भर नहीं भूलते। यह कण्ठस्थीकरण उनकी जीवन भर की संपत्ति बन जाता है। इस पुस्तक में कुछ ऐसे मंत्रों का और श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ चुने हुए श्लोकों का समावेश किया गया है जो जीवन पर्यन्त कंठ में रहने योग्य हैं। वे बालक की वाणी को ऐसा सुसंस्कृत और संपन्न बनाएंगे कि वह विद्वानों की सभा में शोभा पाने योग्य बने। यह भारतीय साहित्य के कुछ ऐसे अर्थ पूर्ण मोती है जिनकी महत्ता एवं शक्ति दुनिया के विद्वानों ने भी मान्य की है।
