तूने किस तौर से सांपों को संभाला होगा…

तूने किस तौर से सांपों को संभाला होगा…
देर रात तक चला मंसूर अकादमी और राणा वेलफेयर सोसायटी की ओर से आयोजित मुशायरा, शायरों-कवियों ने पेश किए एक से बढ़कर एक कलाम

चूरू, 29 सितंबर। चूरू के महान शायर मंसूर चूरूवी की याद में मंसूर अकादमी और राणा वेलफेयर सोसायटी की ओर से शुक्रवार शाम भाईजी चौक स्थित राणाजी का नोहरा में आयोजित ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन जोरदार जमा। रात्रि अढाई-तीन बजे तक चले इस मुशायरे में कवियों-शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किए, वहीं श्रोताओं ने भी देर तक जमे रहकर खूब दाद दी।
शहर इमाम पीर अनवार की अध्यक्षता में हुए मुशायरे में मुख्य अतिथि पुलिस महानिरीक्षक किशन सहाय ने मानवतावादी दृष्टिकोण और उसमें कवियों-शायरों की भूमिका पर चर्चा की। प्रो. सुरेंद्र सोनी ने मंसूर चूरूवी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर बात करते हुए कहा कि वे समूचे विश्व और समूची मानवता के कवि थे जिन्होंने फकीराना जिंदगी जीते हुए भी यह चैलेंज लिया कि जो उसके पास आएगा, उसे वह जीना सिखा देगा।
जानेमाने शायर, गीतकार लोकेश कुमार साहिल ने माहिया विधा में अपनी रचनाओं से श्रोताओं की भरपूर दाद पाई। उन्होंने ‘कैसे अपनी निभे भाई, तू शोर मैं सन्नाटा, तू भीड़ मैं तन्हाई’ और ‘फिर नींद नहीं आई,  फिर रात को जागे हम, फिर धूप निकल आई’ जैसे माहिया सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। उन्होंने ‘तू तो इंसान है संदल का कोई पेड़ नहीं, तूने किस तौर से सांपों को संभाला होगा’ और ‘हमको मौजों से उलझने से हुनर आता है, हमको मझदार ने खुश होके उछाला होगा’ जैसे अशआर पढ़कर जिंदगी की सच्चाइयों और शायरी की जिंदादिली से रूबरू करवाया।
उत्तर प्रदेश से आई शायर श्यामा सिंह सबा ने ‘ये अलग बात है कि नज्रे-गम हो गए, तेरी नजरों में तो मोहतरम हो गए’ और ‘नेजे पे भी बुलंद रहा कट के सर मेरा, लेकिन झुका न झूठे खुदाओं के सामने’ जैसे शेर पढ़कर महफिल लूट ली। चूरू के मशहूर शायर बनवारी लाल शर्मा खामोश ने अपने चिर-परिचित अंदाज में दोहे और गजलें पढ़कर प्रभाव छोड़ा। उन्होंने ‘बरसों बरसों तक रही अच्छी दुआ सलाम, उनका आपस में कभी पड़ा नहीं था काम’, ‘किया नहीं जाता कभी, मुर्दों का अपमान, कुछ लोगों का इसलिए करता हूं सम्मान’ जैसे दोहों के साथ-साथ ‘मैं हूं पुल चलता नहीं तो क्या हुआ सुन ऐ नदी, आने जाने के लिए एक रास्ता तो कर दिया’ जैसे शेर पढ़कर श्रोताओं को बांधे रखा। राजस्थानी के नामचीन गीतकार भागीरथ सिंह भाग्य ने अपने प्रसिद्ध गीत ‘एक छोरी काळती’ सहित अपने चिरपरिचित अंदाज में राजस्थानी कविताएं पेश कर मातृभाषा के असर और ताकत को जीवंत किया।
मोहम्मद इस्माईल गाजी फतेहपुरी ने ‘बावजू होते हुए ताजा वजू करते रहे…’ सुनाकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। बीकानेर के जाकिर अदीब ने ‘क्यों न हो जान से प्यारी मिट्टी, अपने देश की सारी मिट्टी’ गजल के जरिए और देश व मातृभूमि से अपने प्यार का इजहार किया तो मौत की सच्चाई को भी पेश किया। मख्दूम बिसाऊवी ने ‘कुछ इस तरह के सियासी नकाब बिकते हैं, कि जिनके पीछे ऐ आली जनबा बिकते हैं’ सुनाकर माहौल की सच्चाइयां बयान कीं। मंडावा के सुरेश कुमार ने डांखळा पेश कर श्रोताओं को हास्य रस से सराबोर कर दिया।
चूरू के कुमार अजय ने ‘नाहक ही जिगर खोया जख्मों की हिफाजत की, आंसू गर सूख गए, क्या खाक मुहब्बत की’ और ‘जो अड़ गए उसूलों पर बिंधे पड़े हैं शूलों पर, माली को तय करने दो किसका हक है फूलों पर’ जैसी रचनाएं सुनाकर दिल जीत लिया। चूरू के उभरते शायर दीपक कामिल ने ‘लोग समझते रह जाएंगे, एक पहेली हो जाएगी, भीड़ को मैंने छोड़ दिया तो भीड़ अकेली हो जाएगी’ और ‘जो नहीं रखनी थीं वो सब चुप्पियां महफूज हैं, आपको भेजी नहीं जो चिट्ठियां महफूज हैं’ गजलें सुनाकर असर छोड़ा। फतेहपुर के इस्माईल अदीब, चूरू के इदरीश राज खत्री,  अब्दुल मन्नान, झुंझुनूं के मुख्तार नफीस, बीकानेर के सागर सिद्दीकी, चूरू की तंजीम बानो ने एक से बढ़कर एक कलाम पढ़े और दाद पाई। संचालन इदरीश राज खत्री ने किया।  
मंसूर अकादमी के अब्दुल मन्नान, राणा वेलफेयर सोसायटी के महमूद राणा  और नगरश्री के श्यामसुंदर शर्मा ने कवियों का सम्मान और स्वागत किया। इस दौरान कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता रियाजत खान, सरोज हारित, बाबूलाल शर्मा, राजेंद्र शर्मा मुसाफिर, रमेश सोनी, डीवाईएसपी अयूब खान, अनवर खान, इदरीश छींपा, मुबारक अर्ली भाटी, डॉ एफएच गौरी, एडिशनल सीएमएचओ डॉ अहसान गौरी, गुरुदास भारती, आशीष गौतम, आईएफडब्ल्यूजे अध्यक्ष अमित तिवारी, प्रकाश शर्मा, अख्तर खान, मोहम्मद अली पठान, करामत खान, फारूख चौहान, इलियास राणा, फिल्मस्थान के मुदित तिवारी, सलीम मिस्त्री चौहान, मास्टर सलामुद्दीन, फजले हक चौहान, शकील दुर्रानी, अनवर खान थानेदार, मुबारक भाटी, इमरान खान, सिकंदर खान, युनुस खान जोइया, अनीश नागरा आदि मौजूद थे। कार्यक्रम में डॉ मुमताज अली, मास्टर कमरूद्दीन, मख्दूम, फज्लेहक चौहान, एईएन मेजर खान, मोहम्मद अली राणा, महमूद राणा का खास सहयोग रहा।

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