मानव धर्म ओर सर्वोदय के रास्ते जैसे विषयों पर अहिंसा के रास्ते समर्पण संगम हुआ : प्रियंकापवनघुवारा

बापू कुटी मे गाधीं जी ने लगाये पीपल वृक्ष की पवित्र मिट्टी को भी साथ लाई !!

देशभर से 65 से अधिक अभ्यर्थियों के साथ समर्पण’- अहिंसा के रास्ते – एडवांस शिविर में सहभागिता रही टीकमगढ़ से प्रियंकापवनघुवारा ने विज्ञप्ति मे विस्तृत बताया कि सर्वोदय संगम कार्यक्रम बापू कुटी सेवाग्राम, वर्धा, महाराष्ट्र मे 22 से 26 सितंबर 2023 तक आयोजित हुआ,जहां वर्तमान देश की स्थिति, राजनीति और अपनी राजनीतिक यात्रा पर विचार हुआ ताकि इस बात की गहरी समझ विकसित हो सके कि हम भारत को संविधान के मार्ग पर वापस लाने में कैसे मदद कर सकते हैं। क्योंकि परिचर्चा मे वर्तमान परिस्थितियो मे सिंगोल वास्ते अर्थात जिसका इतिहास चोल साम्राज्य से जुड़ा है जो अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है।

सेंगोल स्वर्ण परत वाला एक राजदंड है जिसे नए संसद भवन में स्थापित किया उससे न्यायपूर्ण शासन की अपेक्षा मन की बात पर आधारित चर्चा जहां भारत को सर्वोदय के रास्ते अथवा केवल सिंगोल वास्ते रास्तों पर चलाना चाहिऐ यह सबाल दर सबाल खडा हो गया है आप हम सभी देशवासियों को मन मस्तिष्क से यह गम्भीरता पूर्वक विचार करना पढेगा, भविष्य के भारत पर वही शिविर मे एक फिल्म कटहल को सभी ने देखी जिसमें कहानी दो कटहल चोरी की घटना के माध्यम बुन्देलखण्ड क्षेत्र का वास्तविक फिल्मांकन हुआ है जैसे विषयों को लेकर श्रीमति प्रियंकापवनघुवारा ने शिविर मे देश के कोने कोन से साथियों जाना कि बुन्देलखण्ड का जो वास्तविक चित्रण फिल्मकार ने दिखाया वह केवल बुन्देलखण्ड का या यही चित्रण आपके यहां भी है सभी ने कहा कि अब ऐसे ही हालात लगभग सभी प्रांतों के हो गये है श्रीमती प्रियंका ने विभिन्न दृष्टिकोणों पर अपने विचार रखते हुये कहा कि “मानव को मानव से जोड दे ,बाकी ईश्वर पर छोड दे” एवं ध्यान का अर्थ है भीतर से मुस्कुराना और सेवा का अर्थ है इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना अहिंसा के रास्ते शिविर सेवाग्राम, शान्तिभवन में पाँच दिन चार रात रह कर गाँधी जी को समझाने का अवसर मिला।

गौरतलब है कि 1930 में जब गांधीजी ने नमक सत्याग्रह के लिए साबरमती आश्रम से दांडी तक अपनी पदयात्रा शुरू की, तो उन्होंने भारत की आजादी मिलने तक साबरमती नहीं लौटने का फैसला किया था, गांधीजी दो साल से अधिक समय तक जेल में रहे फिर गांधीजी ने अपना मुख्यालय बनाया जिसका नाम सेवाग्राम रखा, जिसका अर्थ है ‘सेवा का गांव’। गांधी जी ने देश की अंतर्निहित ताकत के अनुरूप कि अपने धर्म के गहरे अध्ययन के बाद दुसरे धर्मो के अध्ययन से, सब धर्मो कि मौलिक एकता समझ में आ जाएगी।

में यह मानता हूँ कि, प्रार्थना धर्म का प्राण और सार है। इसलिये प्रार्थना मनुष्य के जीवन का मर्म होना चाहिए, क्यों की कोई मनुष्य धर्म के बिना जी नहीं सकता वहाँ बारह बर्ष रहकर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मामलों और आंदोलनों पर कई निर्णय लिए, ऐसे सेवाग्राम की पवित्रता से भरे हुऐ पीपल वृक्ष के नीचे से पवित्र मिट्टी को एकत्रीकरण मे कमलसिंह गुरुग्राम हरियाणा , प्रमोद के सिंह जोनपुर उ प्र, पवनघुवारा साथ रहे अपने टीकमगढ़ ग्रह नगर लेकर आई है क्योंकि जहाँ भी भारत की भूमि पर पवित्र कार्य हुये वह सभी जगहों की पवित्र मिट्टीयो को एकत्रित कर एक ऐतिहासिक कार्य युवाओं द्बारा टीकमगढ़ मे भी सर्वोदय मिट्टीयो का संगम किया जा रहा है , निश्चित अहिंसा के रास्ते सर्वोदय संगम से ही मानव धर्म व इंसानियत का भाव सुरक्षित हो सकता है।

श्रीमती प्रियंका पवनघुवारा