छत्तीसगढ़ विधानसभा में पत्रकार सुरक्षा कानून सर्वसम्मति से पास,

पत्रकारों को प्रताड़ित करने पर लगेगा 25 हजार जुर्माना

मीडियाकर्मियों की प्रताड़ना और उनके साथ हो रही हिंसा को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधेयक पारित किया गया।

मीडियाकर्मियों की प्रताड़ना और उनके साथ हो रही हिंसा को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधेयक पारित किया गया। यह कानून छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 कहलाएगा। महाराष्ट्र के बाद पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने वाला छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य बन गया है। इसके अनुसार यदि कोई निजी व्यक्ति मीडियाकर्मी को संत्रास, प्रताड़ना अथवा उसके साथ हिंसा करता है तो इसके लिए छत्तीसगढ़ मीडिया स्वतंत्रता, संरक्षण एवं संवर्धन समिति होगी जो कि प्रकरण की छानबीन करेगी।

महाराष्ट्र के बाद पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने वाला दूसरा राज्य बना छत्तीसगढ़

आरोप साबित होेने पर ऐसे व्यक्तियों पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि कोई लोकसेवक जानबूझकर नियमों की अवहेलना करता है तो उसे दंडित किया जाएगा। इसी तरह मीडियाकर्मी के रूप में पंजीयन के लिए पात्र व्यक्ति के पंजीकरण में कोई व्यवधान उत्पन्न् करता है तो उसे भी 25 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। जुर्माने की राशि भू-राजस्व की तरह वसूली योग्य होगी। प्रदेश के मीडियाकर्मियों का पंजीयन किया जाएगा। वहीं, सदन में इसे लेकर हो रहा चर्चाओं के मध्य भाजपा विधायकों ने विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव दिया जिसे अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा, पत्रकारों का वादा किया पूरा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में मीडियाकर्मियों के लिए सुरक्षा कानून पारित होने के बाद पत्रकारों का बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया कि यह ऐतिहासिक दिन है। छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 आज विधानसभा में पास होकर कानून बन गया। हमने जो वादा पत्रकार साथियों से किया था, वह आज पूरा हुआ है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ निर्भीक होकर जनता की आवाज उठाए और जनभागीदारी निभाता रहे, ऐसी हमारी सोच है। मुख्यमंत्री ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि आज पत्रकार साथियों के लिए अविस्मरण्ाीय दिन है। हमारे पत्रकार साथी जो अपनी जान जोखिम में डालकर अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर खबर लाते हैं। बहुत सारे ऐसे लेख भी लिखते हैं, जिनसे उनको, उनके परिवार के लोगों को खतरा बढ़ जाता है। धनहानि के साथ जनहानि की आशंका भी बन जाती है। यह विधेयक उन्हें सुरक्षा देगा।

इस कमेटी ने बनाया कानून का प्रारूप

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस कानून को बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अफताब आलम की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति बनी थी। न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त न्यायाधीश अंजना प्रकाश, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजूराम चन्द्रन, वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय ललित सुरजन, प्रकाश दुबे, मेरे सलाहकार रूचिर गर्ग, महाधिवक्ता, विधि विभाग के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक सभी इसके सदस्य थे। इस समिति ने अनेक बैठकें राज्य में और दिल्ली में करके विभिन्न् संगठनों से चर्चा करके इसका प्रारूप बनाया।

ये कहलाएंगे मीडियाकर्मी

संपादक, लेखक, समाचार संपादक, रूपक लेखक, प्रतिलिपि संपादक, संवाददाता, सम्पर्की, व्यंग्य चित्रकार, फोटोग्राफर, वीडियो पत्रकार, अनुवादक, शिक्षु व प्रशिक्षु पत्रकार, समाचार संकलनकर्ता या जो स्वतंत्र पत्रकार के रूप में अधिमान्यता के लिए अर्ह हों, ये सभी मीडियाकर्मी कहलाएंगे।

मीडियाकर्मी के लिए ये होगी पात्रता

  • पत्रकारिता में कम से कम एक वर्ष का अनुभव
  • शासन द्वारा अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार
  • विगत तीन माह में न्यूनतम छह लेख का प्रकाशन
  • किसी मीडिया संस्‍थान से तीन महीने का न्यूनतम भुगतान
  • घटनाओं के फोटोग्राफ तीन माह में न्यूनतम तीन प्रकाशन

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