पहाड़ों का सीना छलनी कर धड़ल्ले से हो रही है अवैध प्लाटिंग

पहाड़ों का सीना छलनी कर धड़ल्ले से हो रही है अवैध प्लाटिंग

रिपोर्टर रवि बंसवाल, सक्सेस मीडिया, मसूरी।

मसूरी। भू माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं सरकारी तंत्र का इन पर बिल्कुल भी अंकुश नहीं रह गया है ना ही सरकारी विभागों का कोई खौफ इन में दिखाई देता है मसूरी की तलहटी में लगातार जेसीबी मशीन से पहाड़ों का सीना छलनी किया जा रहा है और कई संरक्षित वृक्ष भी इनकी चपेट में आ चुके हैं साथ ही मशीनों के द्वारा कई पेड़ों को जमींदोज भी किया जा चुका है । हमारे संवाददाता द्वारा जब मौके का निरीक्षण किया गया तो भू माफियाओं के हौसले देखकर वह भी दंग रह गए की मौके पर जेसीबी मशीनों द्वारा पहाड़ों को काटा जा रहा था और संबंधित विभाग कुंभकरण की नींद नहीं सो रहे हैं बताया जा रहा है कि प्रदेश से बाहर के कुछ भूमाफियाओं द्वारा यहां पर लगातार पहाड़ों का कटान किया जा रहा है जबकि उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार मसूरी की तलहटी में किसी भी प्रकार के कटान और खुदान की अनुमति नहीं है उसके बावजूद भी यहां पर लगातार बड़े-बड़े पहाड़ों को काटकर समतल किया जा रहा है सूत्रों के अनुसार कुछ सफेदपोश लोग भी इसमें शामिल हैं राजपुर क्षेत्र के अंतर्गत कैरवान गांव में लगातार भू माफियाओं द्वारा अवैध रूप से प्लॉटिंग की जा रही है और कई पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है साथ ही मलबे को नाले खालो में डाला जा रहा है जिससे संरक्षित वन संपदा को भी खासा नुकसान हो रहा है

बताते चलें कि यहां पर एक समाजसेवी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की गई थी जिसका संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने भी कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी लेकिन न्यायालय के आदेशों को भी भू माफियाओं के द्वारा ताक पर रख दिया गया है ।
यदि इसी प्रकार से हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों का दोहन किया जाएगा तो वह दिन दूर नहीं जब अपनी आबोहवा के लिए प्रसिद्ध मसूरी देहरादून इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी इसके लिए समाजसेवी और पर्यावरणविदों को भी आगे आना होगा और प्रकृति के गोद में बसे मसूरी देहरादून को भू माफियाओं के चुंगल से बचाना होगा ।

यही कारण है कि उत्तराखंड के निवासी लगातार सशक्त भू कानून की मांग करते आ रहे हैं क्योंकि पहाड़ के दर्द को पहाड़ का निवासी ही समझ सकता है और सरकार को भी इस ओर सोचना होगा कि यदि इसी प्रकार बाहर से आकर कोई व्यक्ति यहां की प्रकृति को नुकसान पहुंचाएगा तो उत्तराखंड अपना अस्तित्व खो देगा ।

इस संबंध में जब प्रभागीय वन अधिकारी कहकशा नसीब से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है लेकिन बहुत ही गंभीर विषय है और तुरंत विभाग द्वारा इस पर कार्यवाही की जाएगी और दोषी लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी ।

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