नवाचार के माध्यम से भारत@2047 की कल्पना’ पर तीन दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया

सोमदत्त त्रिपाठी, नई दिल्ली।

नई दिल्ली : भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के सहयोग से चेन्नई स्थित आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क में 7 और 9 मार्च 2022 के बीच ‘नवाचार के माध्यम से भारत@2047 की कल्पना’ पर तीन दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इसका आयोजन भारत की स्वतंत्रता के 100वें वर्ष को चिह्नित करते हुए ‘विजन 2047’ विकसित करने के लिए देश में शिक्षाविदों, सरकार और उद्यमियों के प्रसार में अग्रणी लोगों को एक साथ लाने के लिए किया गया। डीएआरपीजी और आईआईटीएम ने भारत सरकार के उप सचिवों के रूप में काम करने वाले युवा अधिकारियों, 2047 में सेवा देने वाले जिला कलेक्टरों और युवा उद्यमियों का चयन किया जो नागरिकों की भलाई के लिए एक साथ मिलकर अभिनव समाधानों पर सामूहिक रूप से विचार-मंथन करने के लिए काम करेंगे। 
 
सभी राज्यों के प्रधान सचिवों (एआर) और सभी एटीआई सहित पूरे भारत से लगभग 300 प्रतिभागी उद्घाटन सत्र में शामिल हुए। 
  
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव श्री वी. श्रीनिवास, आईआईपीए के महानिदेशक श्री सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी, आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि और आईआईटी मद्रास ऊष्मायन प्रकोष्ठ (आईआईटीएमआईसी) और आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क (आईआईटीएमआरपी) के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला लोगों को संबोधित करने के लिए उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे। 
 
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने कहा कि मैं भारत के शासन मॉडल के आगे के रोडमैप को लेकर निष्कर्षों को जानने के लिए उत्सुक हूं। प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नागरिकों और सरकार को करीब लाना विजन इंडिया@2047 का एक उपयुक्त विवरण है। मैं उन लोगों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किया कि युवा सिविल सेवकों, युवा शिक्षाविदों और युवा उद्यमियों को एक साथ लाने को वास्तविक रूप दिया है। 
 
‘अनुसंधान और विकास’ और ‘नवाचार और डिजिटल शासन’ के व्यापक विषयों के तहत चल रहे तीन दिवसीय संगोष्ठी में निम्नलिखित दस प्रमुख क्षेत्रों का पता लगाया जा रहा है: 
1 ऊर्जा और शुद्ध शून्य 
2 शिक्षा 
3 स्वास्थ्य देखभाल और सहायक प्रौद्योगिकियां 
4 जल 
5 बुनियादी ढांचा और संचार 
6 परिवहन और गतिशीलता 
7 शहरीकरण और आवास 
8 ग्रामीण विकास और कृषि 
9 फिनटेक और समावेश 
10 सूचना सुरक्षा और रक्षा 
 
भारत में नियमों और स्थापित मानदंडों के पालन के साथ एक समय के हिसाब से जांची और परखी हुई प्रशासनिक व्यवस्था है, राष्ट्र निर्माण और एक समावेशी राज्य के निर्माण के कार्यों को करने के लिए एक विस्तृत संरचना और प्रक्रियाएं हैं। ऐसे अधिकार प्राप्त आयोग, वैधानिक बोर्ड और स्वायत्त समितियां भी हैं, जहां महत्वपूर्ण संस्थागत क्षमताएं मौजूद हैं। स्थायी सिविल सेवा ने संस्थानों की निरंतरता और सक्षम विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राज्य और स्थानीय सरकारों के कार्यों को विकेंद्रीकृत करने के लिए सहायकता के सिद्धांत का पालन किया गया है। केंद्र सरकार ने मुख्य रूप से रक्षा, अंतरराष्ट्रीय संबंधों, राष्ट्रीय सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक न्याय, व्यापक आर्थिक प्रबंधन और राष्ट्रीय नीति निर्माण के मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार में शीर्ष स्तरों को उच्च गुणवत्ता वाली नीति सलाह प्रदान करने की अनिवार्यता को देखते हुए नीतियों का विश्लेषण केंद्रीय सचिवालय का एक महत्वपूर्ण कार्य है। पावतियों (रसीद) को सही तरीके से दर्ज करने में देरी को कम करने के लिए सभी कार्यात्मक स्तरों पर एक विस्तृत प्रतिनिधिमंडल बनाने के लिए कार्यालय प्रक्रियाओं को लेकर केंद्रीय सचिवालय मैनुअल को फिर से तैयार किया गया है। 
 
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के बीच आम सहमति यह थी कि प्रौद्योगिकी भारत के भविष्य के शासन मॉडल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी जो नागरिकों और सरकारी संबंधों को फिर से परिभाषित करेगी जहां प्रौद्योगिकी एक प्रवर्तक है और नागरिक विशेषज्ञ है। शासन भी डेटा संचालित होगा, जिसमें बेंचमार्किंग शासन के लिए साक्ष्य आधारित भविष्य सूचकांक तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा नैतिक भारत की खोज में नैतिकता और अखंडता के मूलभूत व गैर-विनिमेय मूल्यों पर बहुत जोर दिया गया था। 21वीं सदी के शासन में प्रबंधन कार्यप्रणाली को शामिल करने के महत्व पर चर्चा की गई और दिलचस्प प्रस्तावों में से एक सरकार में 100 नवप्रवर्तकों के साथ निजी क्षेत्र के 100 स्टार्टअप नवप्रवर्तकों के बीच संवाद बढाना था। इसमें ब्लॉकचैन के उपयोग से डिजिटल संस्थानों का निर्माण और जिलास्तर पर नवाचारों के लिए परियोजनाओं को डिजाइन करने पर भी चर्चा की गई। सुनिश्चित कनेक्टिविटी और गति के साथ 6जी प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए हजारों नागरिक केंद्रित सेवाओं के साथ एक समावेशी इंटरनेट पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित किया जाना है। डिजिटल तकनीक ने भारत के शासन मॉडल में एक पैमाना और आकार ला दिया है, जिसे आने वाले वर्षों में और बढ़ाया जाएगा। सेवाओं की वास्तविक समय पर डिलीवरी और सेवाओं की घर तक पहुंच आधुनिक शासन व्यवस्था के अंग हैं। प्रौद्योगिकी का उपयोग करके नागरिकों और सरकार को करीब लाना विजन इंडिया@2047 का एक उपयुक्त विवरण है। शासन में बाधाकारी प्रौद्योगिकियों के महत्वपूर्ण लाभ देखे गए हैं। शासन में ब्लॉकचेन और वितरित बहीखाता, 3डी प्रिंटिंग, उन्नत सामग्री और सूक्ष्म सामग्री (नैनोमटेरियल्स), एनर्जी कैप्चर स्टोरेज और प्रसार, कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग को अपनाया गया है। ये सम्मेलन के लिए पहचाने गए 10 विषय वस्तु हैं। 
 
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने कहा कि डीएआरपीजी के सहयोग से हमने इस संगोष्ठी की शानदार शुरुआत की है। नीति पारिस्थितिकी तंत्र में अवधारणा के चरण से कार्यान्वयन तक शिक्षा, उद्योग और नौकरशाही शामिल हैं। इस संगोष्ठी ने इन तीनों को एक साथ लाया है जो संभावित रूप से 2047 में हमारे देश की कई महत्वपूर्ण नीतियों के साझेदार होंगे। देश भर में इतने सारे महान उद्यमी और फिर भी ऐसे विविध दिमागों के साथ मिलकर भारत के लिए अभिनव समाधानों पर विचार-मंथन करना किसी दूरदर्शिता से कम नहीं है! यह 2047 में भारत की कल्पना करने के हमारे सपने की दिशा में एक बहुत ही आशाजनक कदम है और हम उन संभावनाओं के लिए तत्पर हैं जो इस अद्भुत संगोष्ठी से विकसित होंगी। 
 
संगोष्ठी के प्रत्येक दिन वरिष्ठ फैकल्टी (संकाय) और उद्यमियों द्वारा प्रत्येक प्रमुख विषय के तहत विजन 2047 को विकसित करने में मदद करने के लिए प्रस्तुतियां दी जाती हैं। विषयगत प्रस्तुतियों को चालीस साथियों (दल) के भीतर बातचीत के परिणाम के रूप में तैयार किया जाएगा, जिसे उपयुक्त रूप से ‘नाभिक या केंद्र’ कहा जाता है। 
 
संगोष्ठी के दृष्टिकोण पर बोलते हुए आईआईटी मद्रास इनक्यूबेशन सेल (आईआईटीएमआईसी) और आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क आईआईटीएमआरपीद्ध के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला ने कहा कि भारत एक बहुत ही युवा देश है जिसकी आधी आबादी 25 साल से कम उम्र की है। एक तरफ तो यह एक बहुत बड़ा लाभ है, लेकिन दूसरी ओर यह बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और गरीबी को भी जन्म दे सकता है। ये वे चुनौतियां हैं जिन्हें हमें अगले 25 वर्षों में दूर करने की आवश्यकता है, क्योंकि हमारा सकल घरेलू उत्पाद बढ़ता है। डिजिटल मीडिया के सामने युवा अब इंतजार करने को तैयार नहीं हैं। वे बेहतर जीवन चाहते हैं और भारत के विजन 2047 की शुरुआत उन्हें 25 वर्षों में नहीं बल्कि अगले 10 वर्षों में बेहतर जीवन देने के साथ करनी होगी। यह वैसी चुनौती है जिसे इस संगोष्ठी में अधिकारियों, उद्यमियों और शिक्षकों का समूह दूर करने का प्रयास करेगा।