मूलभूत सुविधाओं के लिए कराहता आदिवासी बाहुल्य गांव

छतरपुर जिले का एक ऐसा गांव… जहां नहीं पहुंची सड़क, बिजली व पानी, ग्रामवासी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे

विनोद कुमार जैन

बकस्वाहा*/ विकासखंड के निमानी पंचायत के गोरानाद ग्राम में आदिवासी समाज के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए आंसू बहाने पर मजबूर है आदिवासी बाहुल्य गांव के लोग सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजना यहां बेमानी साबित हो रही हैं वहीं केंद्र एवं राज्य संचालित विकास योजना से यह गांव कोसों दूर है  वही गांव में सड़क निर्माण ना होने के कारण ग्रामवासी  कच्चे रास्ते और नुकीले पत्थरों पर चलने को विवश है सड़क बनवाने को लेकर कई बार आदिवासियों ने प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया इसके बावजूद भी सड़क निर्माण नहीं कराया गया,

सड़क नहीं होने का दर्द उस समय लोगों को माथे के बल देता है जब गांव में कोई बीमार पड़ जाए, बता दें कि शासन एक तरफ गरीब लोगों की मूलभूत सुविधाओं को लेकर हर संभव प्रयास कर रहा है , जिससे गरीबों को किसी भी प्रकार से कोई परेशानी ना हो वही दूसरी ओर गरीब लोगों को सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है सोचने वाली बात है कि आज भी ऐसे गांव हैं जहां शासन की तमाम योजनाएं दूर दूर तक नजर नहीं आती इस गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क नही है इस गांव के लोग अपने गांव पहुंचने के लिए हाथों से मेहनत करते हुए रास्ता बनाते हैं लोगों को नुकीले पत्थरों से बचते हुए चलना पड़ता है जिस कारण वहां रहने वाले आदिवासी बाहुल्य खासे परेशान है गोरानाद के लोगों ने एकत्रित होकर कई बार तहसील में ज्ञापन दिए पर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई ग्रामीण राजू भिलाला बताते है की रास्ते की पुलिया टूट गई है जिस कारण हम ग्रामीण ने पत्थरों को हटा कर पुलिया की साइट से रास्ता बनाया है उसी से निकलते है वही वन भूमि होने के कारण वन विभाग ने बाउंड्री बना दी जिस कारण हम लोगो को निकलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है और बच्चो को स्कूल जाने में असुविधा हो रही है यहां नेता सिर्फ वोट मागने आते है और 5 साल तक दूसरी बार उस गांव की ओर नजर भी नहीं डालते  है

गोरानांद गॉव के राजू भिलाला, कैरम, सालम भिलाला, फूलबाई, नंदली बाई, बताते है कि बकस्वाहा से चाचीसेमरा तिग्डा तक रोड सही है पर बहॉ से लगभग साढे पॉच किलोमीटर की रोड खराब है जहॉ से हम लोगो का निकलना मुश्किल है । हमारे बच्चे स्कूल नही जा पाते, सबसे बडी समस्या तो गर्भवती महिलाओं को होती है और बीमारी मे सभी लोग परेशान होते हुये बकस्वाहा जाते है।

इस मामले मे जनपद सी ओ हर्श खरे का कहना है कि गोरानाद की सडक के लिये पी एम जी एस वाई को प्रतिवेदन बना कर भेज चुका हूं।  साथ ही अपने बरिष्ठ अधिकारीयो और  एस  डी एम सर को भी प्रतिवेदन दे चुका हू। ग्राम बासी हमारे पास आये थे पर उन्हे सुदूर सडक नही चाहिये है और वो लोग प्रधानमंत्री सडक योजना का लाभ लेना चाहते है। मै अपनी ओर प्रतिवेन भेज चुका हूँ।

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