करोल बाग दिल्ली के होटल गोल्ड सूक में साहित्य सृजन कुटुम्ब संस्था के द्वारा एक शानदार विराट कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया

करोल बाग दिल्ली के होटल गोल्ड सूक में साहित्य सृजन कुटुम्ब संस्था के द्वारा एक शानदार विराट कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया

नई दिल्ली (सक्सेस मीडिया)। शनिवार 28 मई को करोल बाग दिल्ली के होटल गोल्ड सूक में साहित्य सृजन कुटुम्ब संस्था के तत्वाधान में संस्था की संस्थापिका एवम् अध्यक्ष श्रीमती संतोष संप्रिती के 50वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में संप्रिती उत्सव संतोष संप्रिती जी और उन के स्नेही मित्रों के द्वारा एक शानदार विराट कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कवि सम्मेलन में देश के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध कवि भूतपूर्व सांसद, लगातार 40 वर्षों तक लालकिले के कवि सम्मेलन में ओज की कविताओं से रोमांच भरने वाले, हम कसम राम की खाते हैं , हम मंदिर वहीं बनाएंगे गीत के रचियता आदरणीय प्रो. ओम पाल सिंह निडर जी की अध्यक्षता में देश के जाने माने कवि व व्यंग्यकार मंजुल मयंक जी फिरोजाबाद से, ओज और श्रृंगार के कवि आगरा से अंगद धारिया जी, टुंडला से हास्य कवि राम राहुल जी, गुरुग्राम हरियाणा से सुनील शर्मा जी, मेरठ से गजलकार वाजिद मेरठी जी, दिल्ली विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्राचार्य एवम् साहित्यकार श्री सुरेश शर्मा जी आदि महान विभूतियों को कार्यक्रम के संचालक सुशील शैली ने अपने शानदार, मनमोहक और निराले अंदाज में मंचासीन कराया और फिर पारंपरिक अंदाज में ज्ञान की देवी मां सरस्वती को पुष्पांजलि देकर और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम को विधिवत रूप से संप्रीती उत्सव के रूप में पूरे उत्साह और ऊर्जा के साथ प्रारंभ किया। आगरा से आए विशेष अतिथि अंगद धारिया जी ने अपनी सुमधुर और मुक्त वाणी से मां शारदा का आह्वाहन किया और सुनील कुमार ने अपनी मदमस्त कर देने वाली सुरीली आवाज में “कभी अलविदा ना कहो दोस्तो न जाने फिर कहां मुलाकात हो” गीत से पूरे माहौल को रसमयी कर दिया और उसके बाद लगभग 35 कवियों और कवियत्रियों ने अपने जोशीले सुरीले अंदाज में कविता और गजल की हर विधा में प्यार, श्रृंगार , ओज , दोस्ती , हर विषय को छुआ और पूरे वातावरण को सच में उत्सव में बदल डाला। कुछ प्रेमी सज्जनों ने संतोष
संप्रिती जी के प्रति अपनी आस्था, प्रेम ,आदर और अपनेपन को खूब जबरदस्त नृत्य करके भी उल्लास मनाया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कार्यक्रम का संचालन विभा राज वैभवी ने संभाला क्योंकि संचालक सुशील शैली की तबियत खराब थी और वो ज्यादा देर खड़े नहीं हो पा रहे थे।

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अतिथि कवियों में आदरणीय प्रो. ओम पाल सिंह निडर जी ने लाल किले से 40 साल पहले पढ़ी गई कविता के साथ साथ बहुत सा प्यार, मार्गदर्शन और अपने अनुभवों से सभी श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। व्यंग्यकार मंजुल मयंक ने डेढ़ डेढ़ पंक्तियों के व्यंग्य सुना कर और राहुल राम के चुटकुले और हास्य कविताओं ने पूरे सभागार में ठहाकों की बौछार कर दी। वहीं अंगद धारिया ने अपने जोशीले मुक्तकों, श्रृंगार के छंदों और गीतों से सारे उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वाजिद मेरठी और सुनील शर्मा ने अपनी ऊंची और बुलंद आवाज से सभी श्रोताओं के साथ पूरे सभागार को गुंजायमान कर दिया। दिल्ली वि. वि. के भू. पू.प्राचार्य सुरेश शर्मा जी ने अपने आने वाले गजल संग्रह से कुछ गजलें पढ़ कर सभी श्रोताओं को झूमने पर मजबूर किया।
अंतरराष्ट्रीय कवि सुशील शैली ने तबियत खराब होते हुए भी संतोष संप्रिती जी को जन्मदिवस की बधाई अपनी अद्भुत शैली में कुछ ताजा ताजा दोहों और एक गजल के माध्यम से दी जिन पर पूरा सदन हंसी और बधाई के तरानों में झूम उठा। डॉ. सत्यम भास्कर भ्रमरपुरियां ने अपने सुरीले अंदाज में मध्यम स्वर में एक बधाई गीत गया और अपने मुक्तकों से सदन को प्रफुल्लित किया।
उच्चतर स्कूल की प्राध्यापिका विभा जोशी ने न केवल अपने मनभावन परिवेश से सभी को आकर्षित किया बल्कि बहुत ही सुंदर रचना से सभी का मनोरंजन किया। अवधेश तिवारी भावुक ने अपनी रचनाओं में भी भावुकता का परिचय दिया और टोपी पहना कर संतोष संप्रिती का अभिनंदन किया।
कवियों में दीपक मिश्रा, दिनेश शर्मा डाॅ राम कुमार झा निकुंज, इंदुकांत अंगारिश, सुंदर , हर्ष जैन, आदि ने तथा
शेष कवियों ,कवियत्रियों ने भी अपनी अपनी प्रस्तुतियों से उत्सव को ऊंचाइयां प्रदान की और शोभा बढ़ाई।
संतोष संप्रिती ने आए हुए सभी अतिथियों का मेडल, सम्मान प्रतीक मोमेंटो, और पुष्पगुच्छ दे कर सम्मान किया और कई मुक्तको, हरियाणवी भाषा के एक गीत और कुछ हंसी की फुहारों के बीच कहा की आज आप सभी के बीच में अपने आपको बहुत भाग्यशाली और गौरवान्वित अनुभव कर रही हूं आप सभी का प्यार, स्नेह और आशीष पाकर मैं भाव विभोर हूं अभिभूत हूं और अंतर्मन से गदगद हूं आप सभी लोग इसी तरह से अपना स्नेह और आशीर्वाद बनाए रखना। और कहा की आज वो जो कुछ भी हैं महिला होते हुए भी जिन ऊंचाइयों को छू रही हैं वो उनके पति, उनके ससुराल के बुजुर्ग और उनके बच्चों के द्वारा दिया जाने वाला प्रोत्साहन और साहित्य में कुछ मुकाम पाने की अपनी ललक के द्वारा ही संभव हुआ है और उन्होंने अपने पति , बच्चों और बुजुर्गों का सभी का अंतर्मन से धन्यवाद दिया।
सभी अतिथियों और प्रतिभागियों ने जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ अपने संग लाए हुए उपहारों से संतोष संप्रति को सम्मानित किया और शुभाशीष दिया।
कार्यक्रम के अंत में प्रसिद्ध कवि, साहित्यकार, और संचालक सुशील शैली ने आए हुए सभी अतिथियों , प्रतिभागियों और संतोष संप्रिती के अनुरागियों का संप्रिती उत्सव को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया और कार्यक्रम का समापन किया।

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